अम्बिकापुर. 24 दिसंबर को अम्बिकापुर नगर पालिक निगम के नतीजे आने के साथ ये तय हो गया था कि पूर्व महापौर डॉ अजय तिर्की दोबारा अम्बिकापुर के महापौर बनेगें.. और ये अब कांग्रेस संगठन ने तय भी कर दिया है.. लेकिन कई दिग्गज कांग्रेस नेताओ के पार्षद बनने के बाद सभापति की रेस मे नेता एक दूसरे को लंगडी मारने लगे हैं.. जिससे सभापति को लेकर कांग्रेस के अंदरखाने मे स्वाभाविक भडभडाहट की स्थिती बनी है.. हालाकि इस मामले मे अंतिम निर्णय मैच रेफरी के रूप मे तैनात स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को ही लेना है.
अम्बिकापुर नगर निगम मे पिछले पांच साल से कांग्रेस की सत्ता होने के बाद जनता ने एक बार फिर कांग्रेस को महापौर और सभापति बनाने के लिए जनादेश दे दिया है.. लेकिन पिछले पांच साल मे निगम की राजनीति और मौजूदा माहौल से ये संभावनाए जताई जा रही हैं कि निगम सभापति को लेकर कांग्रेस नेताओ मे आपसी खींचतान काफी तेज हो गई है. गौरतलब है कि पिछले पांच साल तक निगम मे वरिष्ठ पार्षद शफी अहमद सभापति की भूमिका मे थे.. लेकिन उस दौरान भी शफी अहमद और पार्षद अजय अग्रवाल के बीच सभापति बनने के लिए ढाई ढाई साल का फार्मुला तय हुआ था.. पर वो फार्मुला ढाई साल आते तक ध्वस्त हो गया और वरिष्ठ पार्षद अजय अग्रवाल को उसी डिप्टी मेयर के पद मे खुश रहना पडा.. जो उनको खुश करने के लिए सृजित किया गया था.
इधर इस बार हुए नगर निगम चुनाव मे अम्बिकापुर के 48 वार्डो मे कांग्रेस ने 27 जीत लिए हैं.. जबकि भाजपा के पास मात्र 20 पार्षद ही हैं. इस लिहाज से महापौर के लिए आरक्षित एसटी सीट मे कोई किंतु परंतु नजर नहीं आ रहा है.. पर सभापति के लिए तीन-चार दिग्गज कांग्रेसी पार्षदो के बीच आपसी खींचतान का स्वाभाविक माहौल बना हुआ है. दरअसल अम्बिकापुर नगर निगम मे पार्षद के रूप मे जीतकर आए पूर्व सभापति शफी अहमद, पूर्व डिप्टी मेयर अजय अग्रवाल, वरिष्ठ पार्षद दि्वतेन्द्र मिश्रा इस बार सभापति की रेस मे हैं. ऐसे मे सभापति पद के लिए तीनो को खुश कर पाना कांग्रेस संगठन के लिए काफी मुश्किल नजर आ रहा है. हांलाकि कांग्रेस की ओर से छन कर आ रही जानकारी के मुताबिक इनमे से दो पार्षदो को निगम के हटकर कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर खुश करने की कोशिश की जा सकती है. ऐसे मे पहले से सभापति पद के दो दावेदारो को निगम की राजनीति से दूर करके तीसरे को सभापति पद की जिम्मेदारी दिए जाने की संभावनाए भी हैं.