गुरूद्वारे को सिक्ख धर्म का उपासना गृह माना जाता है पर अपने देश में ऐसे कई गुरूद्वारे हैं जहां पर हर वर्ग के लोग अपना सिर झुकाते हैं। आज हम आपको जिस गुरूद्वारे से मुखातिब कराने जा रहें हैं वह गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित है। इसकी अपनी खासियत और इतिहास है। आइये जानते हैं इस गुरूद्वारे के बारे में।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित इस गुरूद्वारे का नाम है “गुरुद्वारा करतार साहिब”, इस गुरूद्वारे के बारे में यह मान्यता है कि सिक्ख धर्म के प्रवर्तक “गुरु नानक देव” इस जगह जहां यह गुरुद्वारा है पर 17 साल रहें थे और उन्होंने यही पर अपनी अंतिम सांसे ली थी। 2022 में इस गुरुद्वारे की 500 वीं वर्षगांठ है, इस अवसर पर विश्वभर से सिक्ख सम्प्रदाय के लोग इस गुरूद्वारे में पहुंचेंगे और गुरु पर्व को मनाएंगे। इस पर्व में एक बड़ा सिक्ख समुदाय शामिल होगा।
यह गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित है। गुरु नानक जी का भी जन्म जिस स्थान पर हुआ था वह वर्तमान में पाकिस्तान में ही है इसलिए भारत-पाकिस्तान के रिश्ते सुधारने में यह गुरुद्वारा अहम भूमिका निभा सकता है। इस बात को ध्यान में रख कर पंजाब सरकार जल्द ही इस प्रकार की योजना बना रही है जिसके तहत सिक्ख धर्म के अलावा अन्य धर्मों के सभी ऐसे धार्मिक स्थानों की मरम्मत कराई जाए तथा उनका सौन्दर्यकरण कराया जाए ताकि अधिक से अधिक लोग इनकी और आकृष्ट हों। इन स्थानों पर आने वाले यात्रियों के रुकने और खाने की व्यवस्था भी अच्छी हो यह भी पंजाब सरकार की योजना का हिस्सा होगा। 2017 से इस योजना को लागू करने की पंजाब सरकार सोच रही है ताकि भारत का पर्यटन बढ़ें और इससे अपने देश को फायदा हो।
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