अम्बिकापुर. छत्तीसगढ के विधानसभा चुनाव घोषणा पत्र के कारण कांग्रेस को सरकार बनाने का बहुतम मिला था.. और इस घोषणा पत्र मे शहरी क्षेत्र के लोगो को शासकीय भूमि का पट्टा दिया जाने के वादे ने तो कांग्रेस की जीत को और प्रचंड बना दिया था.. लेकिन विधानसभा चुनाव औऱ नगरीय निकाय चुनाव के बाद शहरी पट्टा को लेकर बवाल शुरु हो गया है. अम्बिकापुर निगम क्षेत्र के बडे इलाके की शासकीय भूमि मे काबिज रहवासी एक तरफ प्रशासनिक फरमान के कारण सदमे मे आए गए हैं.. तो दूसरी तरफ इसको लेकर राजनीति भी तेज हो गई है.
क्योकि शासकीय भूमि पर काबिज लोगो के यहां तहसीलदार कार्यालय से नोटिस पहुंचना शुरु हो गया है. जिसमे एक दो दिन मे शुल्क जमा करने या फिर भूमि पर बने मकान को तोडने का फरमान लिखा है. इतना ही नही इस नोटिस मे ये भी लिखा है कि अगर निर्धारित राशि तय समय मे जमा नही की गई तो फिर मकान तोडने मे खर्च होने वाली रकम भी काबिज लोगो से वसूली जाएगी. लिहाजा इस मामले को लेकर विपक्षी दल भाजपा के नेता सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. उनके मुताबिक चुनाव मे जिस शासकीय भूमि को मुफ्त मे या मामूली रमक पटा कर दिए जाने का वादा किया गया था. उसके एवज मे सरकार सरकारी दर से 152 गुना ज्यादा राशि वसूल रही है. इतना ही नही भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री भारत सिंह सिसोदिया ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि आर्थिक मामलो मे विफल सरकार अब जमीन खरीद बिक्री का काम करने लगी है.
गौरतलब है कि अम्बिकापुर शहर के गांधीनगर समेत करीब एक दर्जन ऐसी बस्तियां हैं जहां सैकडो परिवार सरकार की पट्टा स्कीम का इंतजार कर रहा था.. लेकिन लोगो को मिल रही नोटिस मे लिखी रकम और शर्त पढकर शासकीय भूमि पर काबिज लोगों के पसीने छूठ रहे है..और विपक्षी दल के लिए ये बडा मुद्दा भी बनता जा रहा है.. तो वही कांग्रेस के लोग इस मामले मे सरकार के पक्ष मे खडे नजर आ रहे हैं.. लेकिन उनकी बात परेशान कर देने वाली है..क्योकि उनके मुताबिक झुग्गी और मलीन बस्तियो और ज्यादा शासकीय भूमि पर काबिज लोगो के लिए सरकार की अलग अलग नीति हैं. जिसके मुताबिक झुग्गी के लोगो को लीज और किश्त पर भूमि दी जा रही है.
इस मामले को लेकर कांग्रेस के नेता शायद अब मुकरने भी लगे हो..और शायद कांग्रेस के जिम्मेदार नेताओ ने कभी मुफ्त मे जमीन देने की भी नही कही होगी.. तो ऐसे मे तो गलती उन्हीं कि है जो शासकीय भूमि पर काबिज होकर पट्टा की आस मे वर्षो इंतजार कर रहे थे.. बहरहाल शहरी क्षेत्र मे मिलने वाले पट्टे को लेकर भाजपा जहां मुखर नजर आ रही है. तो वही कांग्रेस इस मुद्दे और तमाम आरोपो के कारण बैकफुट मे दिख रही है तो ऐसे मे देखना है कि रास्ता बीच का निकलता है.. या लोगो को परेशानियों के ब्रेकर से ही गुजरना पडेगा.
हालत खराब तो भूमि खरीद बिक्री का काम शुरु – भारत सिंह
छत्तीसगढ की भूपेश सरकार केवल भूमिहीनो के साथ ही नही बल्कि किसानो मजदूरो के साथ हर एक वर्ग के साथ छलावा कर रही है. पहले गंगा जल लेकर गाय का पूंछ पकड कर इन लोगो ने कसमे खाई थी. अभी जिस तरह का नोटिस जिस तरह से भूमिहीनो को.. एक बडा झूठ बोलते हुए निशुल्क पट्टा दिया जाएगा..और नही तो मामूली भूभाटक पटाकर भूमि दी जाएगी.. लेकिन अब भूमि के शासकीय रेट से 152 प्रतिशत ज्यादा रूपया वसूल कर भूमि देने की बात कही जा रही है.. असली बात ये है कि कांग्रेस सरकार की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है.. किसानो के साथ ये छवाला कर रही है, आज गांजा और अफीम की तरह धान की स्थिती हो गई है. क्योकि वो धान की खरीदी कम से कम करना चाहते हैं.. क्योकि रूपए की आर्थिक व्यवस्था और तैयारी नहीं है..और जब आर्थिक मोर्चे मे विफल हो रहे है थे खरीद बिक्री का काम कर रहे हैं.. आज जिन भूमिहीनो से बाजार रेट से 152 प्रतिशत ज्यादा राशि वसूल कर भूमि दी जा रही है.. वो लोग इतने सक्षम होते तो बाजार से जमीन खरीद सकते थे..वो सरकार के भूमि देने का इंतजार क्यो करते.
15 साल क्या कर रही थी भाजपा – जे पी श्रीवास्तव
इस मामले मे दो स्थिती है. उसमे झुग्गी झोपडी मलीन बस्तियों मे रहने वाले लोग और ज्यादा जमीन कब्जा करके बैठे लोगो. दोनो के लिए कांग्रेस सरकार ने अलग अलग नीति बनाई है. झुग्गी झोपडियो के 700 स्कावयर फिट के पट्टे मे कहीं भी ऐसी बात नहीं है कि हम बाजार मूल्य से 152 प्रतिशत ज्यादा जमीन की कीमत ले रहे हैं. बल्कि उसमे कांग्रेस सरकार लीज पर पट्टा दे रही हैं. और आसान किश्तो मे दे रही है.
इतना ही नही कांग्रेस प्रवक्ता जेपी श्रीवास्तव ने भाजपा के आरोपो पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने तो लोगो का पट्टा देने की शुरूआत की है.. भारतीय जनता पार्टी ने 15 साल तक तो कुछ नहीं किया.
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