फ़टाफ़ट डेस्क. कहावत है कि ‘भौंकने वाले, काटते नहीं’… लेकिन उत्तराखंड के रामनगर में आवारा कुत्ते भौंक भी रहे हैं और काट भी रहे हैं. यहां सैकड़ों की संख्या में घूमते आवरा कुत्तों ने कहर बरपाया हुआ है. स्थिति इतनी गंभीर है कि सरकारी अस्पताल में कुत्तों के काटने के शिकार अक्टूबर महीने में 177, नवंबर में 178 और दिसंबर के 10 दिन में ही 30 आए हैं. खुद डॉक्टर कहते हैं कि कुत्ते के काटने के मामले इससे कहीं ज़्यादा हैं. उधर नगर पालिका परिषद अभी तक यह तय ही नहीं कर पाई है कि इस मामले में करना क्या है.?
रामनगर के संयुक्त चिकित्सालय में कुत्तों के काटे का इलाज करवाने वालों में बच्चे-बड़े सभी शामिल हैं लेकिन बच्चों की संख्या ज़्यादा है. अपने बच्चों को लेकर आई कई मांओं ने एक निजी चैनल को बताया कि आवारा कुत्तों की वजह से बच्चों को स्कूल-ट्यूशन भेजने तक में डर लगता है. एक मां ने तो यह भी कहा कि वह बच्चों को छोड़ने जाती हैं तो उन्हें भी कुत्तों के झुंड देखकर डर लगता है. संयुक्त चिकित्सालय के डॉक्टर बीडी जोशी बताते हैं जो आंकड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज के हैं वह इंजेक्शन लगाए जाने के आंकड़े हैं. कई बार पालतू कुत्तों के काटे पर इंजेक्शन नहीं लगाए जाते क्योंकि कुत्ते को एंटी रैबीज़ इंजेक्शन लगा होता है. इसके अलावा प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के पास जाने वालों की संख्या भी अच्छी खासी हो सकती है.