- देशी एम्बुलेंस से मरीजो की शिफ्टिंग
[highlight color=”black”]बलरामपुर वाड्रफनगर [/highlight]
वाड्रफनगर सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र मे शासन द्वारा कितनी एम्बुलेंस मुहैया कराई गई है इस बात की जानकारी तो नही है , लेकिन क्षेत्र मे पांव पसार रहा मलेरिया और डायरिया का प्रकोप के साथ एम्बुलेंस सेवा अब लोगो के लिए मुसीबत बनती जा रही है , आलम ये है कि फैलती बिमारी के बीच स्वास्थ विभाग की व्यवस्था लोगो के लिए मुसीबत बन चुकी है, और शासन द्वारा एम्बुलेंस सेवा के लिए खर्च किए गए करोडो रुपए सफेद हाथी साबित हो रहे है क्योकि बिमारी से ग्रसित लोगो की जान बचाने के लिए परिजनो को जुगाड के देशी एम्बुलेंस और खटिया के सट्रेचर का सहारा लेना पड रहा है। जिस जुगाड के माध्यम से मरीजो का अस्पताल तक लाना अब वाड्रफनगर क्षेत्र वासियो की मजबूरी बन गई है।
दरअसल ये कोरा आरोप नही है बल्कि जिले के वाड्रफनगर ब्लाक मे फैली डायरिया और मलेरिया की बिमारी के बीच ये नजारा तब देखने को मिला जब क्षेत्र के बरती भगवानपुर मे उल्टी दस्त से पीडित एक बुजुर्ग को अस्पताल ले जाना था, अस्पताल ले जाने के लिए बुजुर्ग के घर वालो ने शासकीय एम्बुलेंस बुलवाने का प्रयास किया, लेकिन उसके नही आने पर परिजनो को गांव के पिकप वाहन मे निर्मित जुगाड के एम्बुलेंस मे अस्पताल तक लाना पडा ! ये जुगाड का एम्बुलेंस गांव वालो ने स्वास्थ विभाग की उदासीनता के बाद खुद के खर्चे से बनाया है ! बाद मे लोगो से पूछताछ मे पता चला कि पिछले 15 दिन से कई बिमार लोगो को इसी जुगाड की एम्बुलेंस मे सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र तक लाया गया है।
[highlight color=”red”]क्षेत्र का आमापारा सबसे ज्यादा प्रभावित [/highlight]
उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की सरहद से लगे छत्तीसगढ के मदनपुर पंचायत का पंहुचविहीन आमापारा गांव मे इन दिनो डायरिया का प्रकोप पूरी तरह से पांव पसार चुका है। स्वास्थ विभाग ने अस्थाई कैंप लगाकर कुछ हद तक स्थिती को नियंत्रण मे करने की कोशिश जरुर की है , लेकिन गांव की 10 साल की बच्ची और 40 वर्ष की महिला की मौत के बाद गांव से तीन किलोमीटर दूर लगे अस्थाई कैंप मे पिछले 17 तारिख से अब तक विभिन्न रोगो के 400 से अधिक मरीजो ने इलाज कराया है । इस गांव और अस्थाई कैंप के बीच मझियार नाले मे जल भराव के कारण यंहा के मरीजो को खटिया का स्ट्रेचर बनाकर पगडंडी रास्ते से 3 किलोमीटर दूर स्थित स्वास्थ कैंप तक लाया जा रहा है। इसके अलावा क्षेत्र के तकरीबन डेढ दर्जन गांव से डायरिया और मलेरिया पीडित लोग रोजना अपना उपचार सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र मे कराने आ रहे है। जिसमे से ज्यादातर को इसी प्रकार अस्पताल या स्वास्थ कैंप तक शिफ्ट किया जा रहा है।
[highlight color=”red”]एक तरफ एम्बुलेंस का आभाव तो दूसरी तरफ एम्बुलेंस मे मरीज की जगह खपरा ढुलाई …. पढिए नीचे समाचार मे [/highlight]
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