विशेषज्ञ डाक्टरो की कमी से मरीज परेशान
जांजगीर चांपा (संजय यादव) बेहतर स्वास्थ्य हर नागरिक की मूलभूत आवश्यकता है और उसका अधिकार भी, लेकिन जिला चिकित्सालय मंे डाक्टरेां की कमी के चलते लोगों को समय पर इलाज नही मिल पा रहा है । साथ ही मरीजो का भोजन व कमरे की साफ -सफाई भी कभी – कभी होती है। जिससे चलते यहां के मरीजो मे खासी नराजगी है। जिले के जिला चिकित्यालय बने पन्द्रह साल से अधिक हो गए, मगर यहां बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है। जिला चिकित्सालय का विशाल भवन तो है, मगर यह भी सफेद हाथी साबित हो रहा है। जिससे यहां मरीजो की संख्या उंगलियों में गिना जा सकता है। इसका कारण बेहतर सेवा व संसाधन की कमी है। जिसके चलते लोग या तो प्राइवेट अस्पतालों की शरण लेते हैं या अन्य शहरो की ओर रूख करते है। जिससे लोगो की समय व पैसेे की बर्बादी होती है। वहीं जिला चिकित्सालय में रक्त संग्रहण केन्द्र भी शुरू नही हो सका है।
जबकि रक्त संग्रहण केन्द्र का लोकार्पण साढे छः वर्ष पहले तक्कालीन स्वास्थ्य मंत्री द्वारा किया गया था। वहीं संग्रहण केन्द्र के लिए आए किमती यंत्र धूल खा रहे है। और कमरे मे ताला लटका हुआ है। जिला चिकित्सालय मंें स्टाॅफ की भी कमी है, और यहां विशेषज्ञय डाक्टरों भी नही है। वहीं सेानोग्राफी,एक्सरे, सी आर्म मशीने पडे -पडें धूल खा रहे है। जिला मुख्यालय होने के बाद भी यहां के 70 प्रतिशत से अधिक प्रसव निजी अस्पतालों मंे होता हैं । विशेषज्ञ चिकित्सको की कमी के चलते यहां मनोरोग,एलर्जी व अन्य रोगांे का उपचार नही होता। जिले मे बर्न युनिट भी नही है, जिसके चलते जले व झुलसे मरीजों केा बिलासपुर रिफर कर दिया जाता है। बारिश के दिनों में लोगो को एन्टी रैबिज की इन्जेक्सन भी समय में उपलब्ध नही होती। अब देखना होगा की जिला चिकित्सालय की बादहाली कब तक दूर होती है।