नियम कायदों को ताख पर रख टॉवरों का संचालन..रेडियेशन के दुस्प्रभाव का खतरा… 

 

अम्बिकापुर

दीपक सराठे 

संभाग मुख्यालय से लेकर सूरजपुर कोरिया जिलों के शहरी क्षेत्रों एवं ग्रामीण क्षेत्रों मेें नियम कायदो को दरकिनार कर मोबाईल कंपनियो द्वारा जगह-जगह आबादी वाले क्षेत्र में विशालकाय टावर लगा दिया गया है। जिससे निकलने वाले रेडियेशन अब दुस्प्रभाव डालने लगे मनुष्यों से ज्यादा पक्षियों पर इसका प्रभाव देखने को मिला रहा हैै। बीते जमाने में मेहमानों के आगन के सुयक माने जाने वाले कौवे तो अब धीरे-धीरे विलुप्त के कगार पर पहुंचने जा रहे है। जानकारों की धारणा है। कि इन सब के विलुप्ति के पीछे जगह-जगह लगें टॉवरों से निकलने वाले रेडियेशन की वजह है। ग्रामीन क्षेत्रों एवं शहर में आवाशीय घर के उपर अथवा घर से एकदम करीब विशाल काय टावर लगा दिया गया है। जो कभी भी किसी बड़े हादसे का सबक बन सकते है। गौर करने वाली बात है कि कहीं कंपनी के टॉवर ंस्कूल एवं अस्पतालों के पास लगा दिये गये है। यह क्रम थी जी- और फोर जी-के साथ लगातार जारी है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मोंबाईल कंपनी के संचालकों को ना तो प्रषासन का भय है। और नाहीं जनप्रतिनिधियों का भय है। संभाग मुख्यालय अंबिकापुर समेंत सभी जिलों को मिलाकर देखे तो इनकी तादाद हजारो में पहोच  गई है। इनूमें सें अधिकांष टॉवर नियम विरूद्ध तरिके से संचालित है।

नियमानुसार षहरी क्षेत्र में लगाये जाने वाले टॉवरों को संबंधित नगरीय निकाय से एनओसी प्राप्त करना चाहिये। साथ ही निकायों द्वारा निर्धारित मासिक षुल्क भी अदा करना चाहिये, लेकिन निकायवार नगर निगम क्षेत्र में विभागीय कम्रचारियों की मिलीभगत से जहां नियमो की धज्जियॉ उडा़कर अनूमति दी जा रही  है। वहीं स्वयं जेब भरकर षासन की लाखों रूपये के राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रहीं है। उल्लेखनीय है कि इस स्थान पर टॉवर लगाने का विरोध क्षेत्र के पार्षदों और नागरीकों ने किया था लेकिन लोगों का विरोध की परवाह किये बिना मनमाने तरीके से वहां टॉवर लगाने की तैयारी है। मोबाईल टॉवर की घातक किरणों से जहां स्कूलो वह अस्पतालो में आने जाने वाले छात्र छात्राओं, मरीजो के स्वास्थय पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है। वही रेडिएषन के करीब रहने वाली आबादी पर यह धीमें जहर के रूप में कार्य करेगा के दुष्प्रभाव के चलते गंभीर बीमारीयों के साथ ही साथ गर्भवती महिलाओं व नवजात षिषुओं पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा टॉवरों की अनुमति के संबंध मे विषेष जांच दल बनाये जायें वहीं वह जिले भर में स्वयं निरीक्षण कर नियम विरूद्ध तरीके से चल रहे मोबाईल टॉवरो के अनुमति देने वाले निकायों के कर्मचारियों व अधिकारीयों तथा टॉवर संचालकों के विरूद्ध आपराधिक मामला दर्ज करें।