नोटबंदी के फैसले के 8 दिन बाद भी लोगों को कैश की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. बैंक ब्रांचों और एटीएम के बाहर लाइनें लंबी हैं. इस बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने साफ किया है कि बैंकों की लाइनों में लगे केवल उन लोगों की उंगली में स्याही लगाई जाएगी जो पुराने नोट को एक्सचेंज करने के लिए आएंगे. आरबीआई ने साफ किया है कि पैसा निकालने वाले लोगों की उंगलियों पर स्याही लगाने की जरूरत नहीं है।
पैसा निकालने वालों को नहीं लगेगी स्याही
आरबीआई ने कहा है कि लोगों के लिए हफ्ते में निकासी की लिमिट 24000 रुपये है. जो कि खाते से ही निकल सकते हैं इसलिए उसमें जांच की जरूरत नहीं है लेकिन नोट बदलने आ रहे लोगों की पहचान की जरूरत है।
सरकार ने किया था ऐलान
गौरतलब है कि मंगलवार को केंद्रीय वित्त सचिव शक्तिकांत दास ने ऐलान किया था कि बैंकों में नोट बदलने के लिए लाइनें लंबी हैं इसलिए कई जरूरतमंद लोगों को पैसे नहीं मिल रहे हैं. स्थिति के मद्देनजर सरकार ने फैसला किया है कि बार-बार नोट बदलने आ रहे लोगों की पहचान की जाए. इसके लिए उंगली में इंक लगाने का फैसला किया गया है. ताकि नए लोगों को भी पैसे मिल सकें।
सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इनकार
इस बीच, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद किए जाने के बाद आम लोगों को हो रही परेशानी पर केंद्र से कहा कि आम आदमी को परेशानी न हो, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए. कोर्ट ने सरकार को हालात सुधारने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, ‘लोगों को हो रही असुविधा के मद्देनजर आप और कौन से नए कदम उठाने के बारे में सोच रहे हैं?’ कोर्ट ने इस मुद्दे की अगली सुनवाई 25 नवंबर तक के लिए टाल दी है. उधर, सरकार के इस फैसले को वापस लिए जाने की मांग वाली याचिका दायर करने वाले की तरफ से कोर्ट में कपिल सिब्बल पेश हुए. सरकार की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इस मांग का पुरजोर विरोध किया. कोर्ट ने सरकार के फैसले में दखल देने से तो इनकार कर दिया, लेकिन लोगों को परेशानी से बचाने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में सरकार से जानकारी मांगी।