भारत में लोगों को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली बीमारी है ‘कुष्ठ रोग’. हर साल ये बीमारी तकरीबन 1.25 लाख लोगों को अपना शिकार बनाती है. विश्व के सबसे बड़े कुष्ठ नियंत्रण कार्यक्रम ‘National Leprosy Elimination Programme’ के होने के बावजूद भी, देश में ये संख्याएं घट नहीं रहीं. कुछ हिस्सों में तो ये आकड़ें बहुत ही ऊपर चले गए हैं। निज़ामाबाद और तेलंगाना में इसके सबसे ज़्यादा केस सामने आये हैं।
पर कुछ नए प्रयोगों से अब हालात बेहतर नज़र होते दिख रहे हैं. देश के एक प्रतिष्ठित संस्थान ने कुष्ठ रोग के खिलाफ लड़ने वाला पहला स्वदेशी टीका बनाया है. राष्ट्रीय प्रतिरक्षा संस्थान (नयी दिल्ली) के इस प्रयोग को Drug Controller General of India और Food & Drug Administration, USA से स्वीकृति मिलने के बाद इसे बिहार और गुजरात के पांच-पांच जिलों में उपयोग किया जाएगा. इस टीके का नाम ‘Mycobacterium Indicus Pranii’ है।
गौरतलब है कि अब तक कुष्ठ रोग से निज़ात दिलाने के लिए कोई भी टीका नहीं लाया जा सका है. भारत इस प्रकार के टीके को शुरू करने वाला पहला देश होगा. Indian Council of Medical Research के Director General डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस टीके से कुष्ठ रोगी के संपर्क में आने से संक्रमित रोगियों समेत कुल 60 प्रतिशत रोगियों का इलाज मात्र 3 साल में हो जाएगा। अगर इन जगहों पर ये कार्यक्रम सफल रहा, तो इसे ज़्यादा प्रभावित जगहों पर भी शुरू किया जाएगा।