कोरोना संक्रमित बच्चों के लिए गाइडलाइन्स… पॉजिटिव है बच्चा तो ऐसे कराएं इलाज, केंद्र सरकार ने जारी किए जरूरी दिशा-निर्देश

नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण की इस तीसरी लहर में बच्चे और किशोर भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. इसे देखते केंद्र सरकार नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इनमें बच्चों और किशोरों को कोरोना संक्रमण से बचाने के सुझाव के साथ ही उन्हें दिए जाने वाले इलाज के बारे में विशेष रूप से बताया गया है. जानते हैं इस बारे में…

सरकार की ओर से 20 जनवरी को नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इन्होंने 16 जून 2021 को जारी दिशा-निर्देशों की जगह ली है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण सिफारिश ये है कि बच्चों और किशोरों के संक्रमित होने पर भी उन्हें कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रहीं एंटीवायरस दवाएं न दी जाएं. इसमें कहा गया है, ‘संक्रमित बच्चों की उम्र अगर 18 साल से कम है तो संक्रमण किसी भी स्तर का हो, उन्हें रेमडेसिविर, मोलनुपिराविर, फैविपिराविर, फ्लूवोक्सोमाइन, जैसी दवाएं न दी जाएं. साथ ही मानव शरीर में प्रतिरूपी एंटीबॉडी पैदा करने वाली दवाएं, जैसे- सोट्रोविमैब, कैसिरिविमैब+, इमडेविमैब भी उन्हें न दी जाएं.’

सरकार के मुताबिक, इस किस्म की दवाओं का मानव शरीर पर दूरगामी परिणाम किस तरह का हो रहा है, यह अभी तक पता नहीं है. इस बारे में अभी अध्ययन ही चल रहे हैं. लिहाजा, बच्चों को ये दवाएं देने की सिफारिश नहीं की जा सकती. नए दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि ओमिक्रॉन की वजह से फैल रहा संक्रमण बहुत गंभीर नहीं है. इसलिए बच्चों में अगर संक्रमण के लक्षण नहीं हैं या हल्के हैं, तो उन्हें घर पर ही रखते हुए इलाज देने की कोशिश की जाए. साथ ही 15 से 18 साल के बच्चों को, जितनी जल्द हो, कोरोना टीका लगवाया जाए. इसमें 5 साल तक के बच्चों को मास्क पहनने की जरूरत भी नहीं बताई गई है.

सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक बच्चों को कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए बुखार होने पर उनके वजन के मुताबिक पैरासिटामॉल दी जा सकती है. प्रति किलोग्राम 10-15 मिलिग्राम के हिसाब से. हर 4-6 घंटे में 1-1 गोली. खांसी साथ में है तो गले को राहत देने वाला हल्का सीरप आदि दिया जा सकता है. साथ ही उन्हें दिन में 3-4 बार गरम पानी से गरारा करने की सलाह दी जाती है. पेट साफ होता रहे, इसके लिए भी मुंह से ली जाने वाली दवा (सीरप आदि) ही उन्हें दी जाए. इसके अलावा पौष्टिक खुराक उनके लिए सुनिश्चित की जाए. इन दिशा-निर्देशों को महाराष्ट्र सरकार की ओर से बच्चों में कोरोना संक्रमण के मसले पर सुझाव देने के लिए गठित कोरोना कार्यबल की सदस्य डॉक्टर आरती किनिकर पर्याप्त बताती हैं. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में वे कहती हैं, ‘संक्रमण के हल्के लक्षणों वाले मामलों में बच्चों तो क्या, अन्य के लिए भी कोरोना का विशिष्ट इलाज देने की जरूरत नहीं है.’