BREKING VIDEO : जिला पंचायत कार्यालय में फहराया फटा तिरंगा …मीडिया में मामला आने के बाद कलेक्टर ने किया सीईओ का बीच बचाव ..फटा झंडा को उतारा पर दिन भर नहीं फहराया जा सका नया झंडा… 

जांजगीर-चांपा। जिला पंचायत कार्यालय में उस वक्त हड़कंप मच गया जब कार्यालय में फटा राष्ट्रीय झंडा लहरा रहा था। कुछ लोगों ने सीईओ व कलेक्टर को इस बात की सूचना दी, लेकिन अफसरों ने मामले को हल्के में ले लिया। अफसरों ने फटा हुआ राष्ट्रध्वज को तो उतार लिया, लेकिन दिन भर नया झंडा लगाने किसी ने प्रयास नहीं किया। जिला पंचायत सीईओ ने मामले को चौकीदार को दोषी मानते हुए पल्ला झाड़ लिया, वहीं राष्ट्रध्वज का अपमान को लेकर जिले के अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी। कुछ लोगों ने सीईओ से इस संबंध में जवाब मांगा, लेकिन तिलमिलाए हुए सीईओ लोगों को जवाब देने के बजाए अपने चेंबर में घुस गए। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के अफसर कितने लापरवाह हैं। हद तो तब हो गई जब कार्यालय में दिन भर राष्ट्रध्वज नहीं फहराया गया। जबकि कलेक्टर ने जिला पंचायत कार्यालय में नया झंडा लगाने का आदेश दिया था।
जिले के अधिकारी देश के आबरू के प्रति कितने वफादार हैं इसकी बानगी मंगलवार को जिला पंचायत कार्यालय में देखने को मिला। दरअसल हुआ यह कि मंगलवार को जिला पंचायत कार्यालय में फटा झंडा फहरा रहा था। कुछ लोगों की नजर तिरंगे झंडे पर पड़ी। उन्होंने मामले की जानकारी सीईओ अजीत वसंत व कलेक्टर नीरज बनसोड़ को दी। सीईओ व कलेक्टर मौके पर पहुंचे और आनन-फानन में तिरंगे झंडे को नीचे उतरवाया। मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई, लोग कलेक्टर सीईओ से सवाल जवाब करने लगे, जिसमें कलेक्टर ने सीईओ का बचाव करते हुए कहा कि मामले को तूल देने लायक बात नहीं है, यदि फटा झंडा फहराया गया है तो उसे ठीक कर लिया जाएगा। लोग जब अफसरों पर हावी होते दिखे तब कलेक्टर सीईओ चुनाव कार्य की व्यस्तता दिखाते हुए चलते बने। दिलचस्प बात यह है कि लोग तीन से चार घंटे तक फटे झंडे के स्थान में नया झंडा लगाने की राह तकते रहे, लेकिन जिला पंचायत में नया झंडा ही नहीं लगाया जा सका।
तीन साल की सजा का प्रावधान
तिरंगा झंडा देश के आन बान शान का प्रतीक होता है। राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम १९७१ के तहत धारा-२ में राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर सजा का प्रावधान है। इसके तहततीन साल की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकता है यह सजा पाने वाला छह साल तक चुनाव लडऩे के योग्य नहीं होता, लेकिन सरकार के द्वारा बनाए गए सारे नियम जिला पंचायत सीईओ के सामने कौड़ी काम की नहीं है। जिले के लोगों को नियम का पाठ पढ़ाने वाले जिला पंचायत सीईओ के खुद के कार्यालय में जब फटा झंडा फहराया जा रहा है तो वे इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है।
सीईओ की कार्यप्रणाली से जिले की जनता परेशान
शासकीय काम काज के प्रति जिला पंचायत सीईओ कितने इमानदार हैं इसका जीता जागता उदाहरण कार्यालय के फटे झंडे से लगा सकते हैं। अपने आप को इमानदार अफसर की दुहाई देने वाले जिला पंचायत सीईओ अजीत वसंत की कार्यप्रणाली से जिले की जनता त्रस्त हो चुकी है। जिला पंचायत सीईओ के कारगुजारियों को लेकर एक ओर जिला पंचायत के सारे सदस्य मोर्चा खोल चुके हैं। क्योंकि जिले में न तो ओडीएफ का काम पूरा हो पाया है और न ही प्रधानमंत्री आवास योजना का। लोग अपनी फरियाद लेकर जिला पंचायत पहुंचते हैं, लेकिन किसी की सुनी नहीं जा सकी। मंगलवार को जब कार्यालय में फटा झंडा लहराया तो लोगों ने सीईओ की कारगुजारियों का जमकर मखौल उड़ाया।
झंडा फहराते समय यह रखना है ध्यान
राष्ट्रीय ध्वज को झुका देना, आधा झुकाकर फहराना, नेपकीन या रुमाल के रूप में प्रयोग, फटा झंडा फहराना, जमीन पर छूना या उल्टा फहराना ध्वज का अपमान माना जाता है।इसके अलावा ध्वज मटमैला नहीं होना चाहिए। किसी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा या बराबर की स्थिति में नहीं होना चाहिए। तिरंगे की साइज भी ३:२ अनुपात में होना चाहिए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में राष्ट्रीय गौरव अपमान माना जाता है।
जिला पंचायत कार्यालय में राष्ट्रध्वज फटा हुआ फहराया जाने की सूचना मिली है। जिसे निकाल लिया गया है। यहां नया तिरंगा झंडा लगाने कहा गया है।
-नीरज कुमार बनसोड़ कलेक्टर

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