मुंबई आदर्श सोसाइटी घोटाला मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल की मंजूरी को रद्द कर दिया है. अशोक चव्हाण के लिए यह बड़ी राहत की बात है. चव्हाण पर अब मुकदमा नहीं चलेगा. बता दें कि महाराष्ट्र के चर्चित आदर्श घोटाला मामले में उस समय नया मोड़ आ गया था, जब राज्यपाल ने मार्च में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दे दी थी. गौरतलब है कि जनवरी के अंतिम सप्ताह में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दूसरी बार महाराष्ट्र के राज्यपाल को खत लिखकर आदर्श घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सीबीआई के अलावा राज्य मंत्रिमंडल ने भी एक प्रस्ताव भेजकर गवर्नर विद्यासागर राव से गुजारिश की थी कि वह अशोक चव्हाण के खिलाफ कार्रवाई को अनुमति दें. अशोक चव्हाण उन 13 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें सीबीआई ने आदर्श घोटाले में चार्जशीट किया था. पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री मौजूदा समय में पार्टी के सांसद हैं, और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं. इससे पहले कांग्रेस की सरकार के समय तत्कालीन गवर्नर के शंकरनारायणन ने इस मामले में सीबीआई को अनुमति देने से इंकार कर दिया था.
2011 में न्यायिक जांच के आदेश
मामले की जांच के लिए 2011 में महाराष्ट्र सरकार ने दो सदस्यीय न्यायिक कमिशन का गठन किया. इसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस जेए पाटिल ने की. 2 साल तक इस समिति ने 182 से ज्यादा गवाहों से पूछताछ की और अप्रैल 2013 में अपनी रिपोर्ट सौंपी.
4 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर भी आई आंच
समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कुल 25 फ्लैट गैरकानूनी तौर पर आवंटित किए गए थे. इनमें से 22 फ्लैट फर्जी नाम से खरीदे गए थे. इस रिपोर्ट में महाराष्ट्र के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों का भी नाम आया. इनमें अशोक चव्हाण, विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे और शिवाजीराव निलंगेकर पाटिल शामिल थे.
इनके अलावा दो पूर्व शहरी विकास मंत्री राजेश तोपे और सुनील ततकारे और 12 ब्यूरोक्रैट्स के नाम रिपोर्ट में गैरकानूनी गतिविधयों को लेकर शामिल किया गया. जिन लोगों को फ्लैट आवंटित किया गया था उनमें देवयानी खोब्रागड़े का भी नाम था.