होली का त्यौहार देश तथा विदेश में बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, पर अपने देश में एक ऐसा स्थान भी है, जहां पर लोग रंगों से नहीं, बल्कि चिताओं की राख से होली खेलते हैं और यह होली काफी विचित्र भी होती है, तो इसलिए आज हम आपको बता रहें हैं इस स्थान के बारे में जहां पर लोग चिता की भस्म से होली खेलते हैं, आइए जानते हैं इस स्थान और इस भस्म वाली होली के बारे में।
भारत का यह स्थान है काशी, यह उत्तर प्रदेश में स्थित है। माना जाता है कि यह पृथ्वी का यह सबसे पुरातन नगर है और इसके बारे में यह भी मान्यता कि यह नगर महाप्रलय में भी नष्ट नहीं होता है, क्योंकि उस समय भगवान शिव इसकी रक्षा की जिम्मेदारी ले लेते हैं। काशी में विश्व का सबसे प्राचीन और बड़ा श्मशान भी है, यहां के श्मशान में हमेशा चिताएं जलती रहती हैं। काशी के बारे में यह मान्यता भी है कि यहां मारने वालों को मुक्ति मिलती है, कहा जाता है “काशी मर्ण्यम मुक्ति” यानी काशी में मरने पर मुक्ति प्राप्त होती है।
काशी में दुनिया का सबसे बड़ा श्मशान है और यहां के श्मशान को जाग्रत माना जाता है इसलिए यहां पर दुनिया भर से बहुत से तंत्र साधक तथा अघोरी अपनी साधना के लिए आते हैं। होली के समय पर ये अघोरी और अन्य तंत्र साधक होली खेलते हैं, पर यह दृश्य बहुत ज्यादा विचित्र होता है, क्योंकि वह न सिर्फ रंगों का प्रयोग करते हैं बल्कि श्मशान में जली चिताओं की भस्म से होली मनाते हैं। इस दौरान बहुत से लोग बड़े डमरू तथा ढोल बजा कर भगवान महाकाल की जय जयकार करते हैं और दुनिया के इस सबसे बड़े श्मशान में होली का यह उत्सव अपने आप में अनोखा होता है, जिसको देखने के लिए बहुत से लोग इक्कठे होते हैं। काशी में अपनी माता की डेड बॉडी लाने वाले राकेश यादव इस बारे में बताते हुए कहते हैं कि ” ऐसा नजारा न आज तक देखा था, न सुना था। मृतक मां को अग्नि देने वाले अनिमेष ने बताया, जहा संसार का सारा गम होता है, वहीं यह उल्लास महादेव की मौजूदगी को दर्शाता है।” खैर, हम तो यही कहेंगे कि होली असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है और सभी लोग इसको अपनी मान्यताओं और विश्वास के अनुरूप ही मनाते हैं।