नई दिल्ली रेलमंत्री सुरेश प्रभु के द्वारा बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने इस्तीफे की पेशकश किये जाने के बाद इस बात को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है कि सरकार प्रभु की प्रतिभा का कहां उपयोग करेगी. रेलवे में लगातार बड़े सुधारों के लिए प्रयासरत सुरेश प्रभु ने अपने इस्तीफे की पेशकश हालिया रेल हादसों के संदर्भ में किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इंतजार करने काे कहा है. प्रधानमंत्री के इस कथन के मायने तलाशे जा रहे हैं. सुरेश प्रभु के पुराने शानदार रिकार्ड के कारण हालिया रेल हादसे जैसी चूक के बावजूद उनकी क्षमता व काबिलियत को खारिज नहीं किया जा सकता है. यह सुरेश प्रभु का व्यक्तित्व ही है कि कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष ने पांच दिन में हुए दो अहम हादसों के बाद सीधे रेलमंत्री पर तीखा हमला नहीं बोला, हां इस्तीफा जरूर मांगा. जब सुरेश प्रभु ने इस्तीफे की पेशकश कर दी तो विपक्ष के तेवर ढीले पड़े और सवाल उठाया कि उनकी जगह मोदी सरकार आखिर किसे लेकर आयेगी?
बहरहाल, सप्ताह भर में कभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट का विस्तार कर सकते हैं. यह बात अब सार्वजनिक हो चुकी है. जाहिर है कि इस विस्तार के क्रम में जब कुछ नये चेहरे मंत्री परिषद में आयेंगे और संभवत: कुछ पुराने चेहरे बाहर भी जायेंगे तो मंत्रियों की नये सिरे से भूमिका तय की जा सकती है. ऐसे में यह संभावना बेहद मजबूत है कि सुरेश प्रभु को प्रधानमंत्री किसी दूसरे अहम मंत्रालय में शिफ्ट करें. अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल उनकी पेशकश के साथ ही उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया होता तो वे स्वत: एक तरह से कैबिनेट से बाहर हो गये होते और दो-चार दिन जबतक मोदी चाहते तबतक कार्यवाहक रेलमंत्री के रूप में व काम करते रहते. ऐसे में कैबिनेट विस्तार के बाद कैबिनेट में उनकी नयी भूमिका तय करने के लिए नये सिरे से उनके शपथ ग्रहण की प्रक्रिया भी पूरी करनी होती.
ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है तो दो संभावनाएं मजबूत हैं – एक उन्हें किसी दूसरे अहम मंत्रालय में कैबिनेट विस्तार के बाद शिफ्ट कर दिया जाये, दूसरा रेल दुर्घटनाओं को लेकर लोगों का आक्रोश थोड़ा ठंडा होने के बाद उन्हें रेलमंत्री के पद पर बनाये रखा जाये और रेलवे में सुरक्षा व संरक्षा की दुरुस्त करने के लिए पूरे सिस्टम को नये सिरे से कसा जाये. इसके लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया जाये. ध्यान रखें कि ममता बनर्जी ने भी जब दुर्घटना के बाद रेलमंत्री पद से इस्तीफा दिया था तो वह स्वीकार नहीं हुआ था.