नवाजुद्दीन सिद्दीकी की ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ हो गई लीक…

एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी को एक बड़ा झटका लगा है। इस शुक्रवार आने वाली फिल्म बाबूमोशाय बंदूकबाज़ सेंसर बोर्ड से तो पास हो गई। लेकिन अब फिल्म पर दूसरा ग्रहण लग चुका है। बता दें, फिल्म ऑनलाइन पाइरेसी का शिकार बनी है। बाबूमोशाय बंदूकबाज़ रिलीज से एक दिन पहले ऑनलाइन लीक हो गई है। कोई शक नहीं कि जब तक फिल्म की टीम इस पहले कोई ठोस कदम उठाएगी, काफी नुकसान हो चुका होगा। नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्मों के साथ ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है।
बहरहाल, बाबूमोशाय बंदूकबाज़ और टॉयलेट एक प्रेम कथा ही नहीं.. बल्कि इस साल कई फिल्मों को ऑनलाइन लीक होने की वजह नुकसान उठाना पड़ा है। शाहरूख की रईस से लेकर बाहुबली 2 को भी ऑनलाइन लीक कर दिया गया था।

फ्री इंटरनेट के साथ बढ़ती पाइरेसी

सिर्फ गाने या ट्रेलर ही नहीं.. अब लोग पूरी की पूरी फिल्म भी फोन पर ही देख डालते हैं। क्योंकि रिलीज के साथ ही फिल्म इंटरनेट पर भी उपलब्ध हो जाती है। जिसे लोग कार, ट्रेन, बस या चलते चलते ही देख लेते हैं।

कई बड़ी फिल्में लीक

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल रिलीज कई बड़ी फिल्मों की high-definition कॉपी यूट्यूब, फेसबुक और गूगल ड्राइव से अपलोड किया गया। जिससे लाखों ने लिंक डाउनलोड कर लिया। लिहाजा, यदि उनमें से आधी जनसंख्या ने भी फिल्म थियेटर में जाकर देखी होती तो हर फिल्म कम से कम 4-5 करोड़ ज्यादा कमाती। ऐसा कई फिल्मों के साथ हो चुका है।

मंहगी टिकट

पाइरेसी का बढ़ता कारण टिकट के बढ़ते दाम भी है। छोटे बजट की फिल्मों के टिकट बड़े शहरों में 150-200 रूपए, जबकि बड़ी फिल्म के टिकट 300 रूपए तक में मिलते हैं। काफी लोग हर शुक्रवार 300 रूपए फिल्म पर खर्च नहीं कर सकते। जिस वजह से वे डाउनलोड करने की ताक में रहते हैं।

फिल्में क्लैश भी हैं कारण

अब एक साथ दो बड़ी फिल्में रिलीज होंगी.. तो कितने ही लोग दोनों फिल्में थियेटर में देख पाएंगे। मनोरंजन के लिए एक बार में 500 या 600 रूपए खर्च कर पाना.. आज भी आम आदमी के लिए काफी बड़ी बात है। लिहाजा, एक फिल्म थियेटर.. तो एक फिल्म इंटरनेट से डाउनलोड.. लिहाजा, फिल्म निर्माताओं को भी यह बात समझनी पड़ेगी। इस शुक्रवार.. अ जैंटिलमैन, बाबूमोशाय बंदूकबाज़, कैदी बैंड साथ रिलीज हो रही है।
तीन सालों से नुकसान पिछले तीन सालों से मल्टीप्लेक्स हो या सिंगर स्क्रीन.. सभी को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इंटरनेट के बढ़ते जाल के साथ थियेटरों का दायरा सिमटता जा रहा है। हालांकि दंगल या सुल्तान जैसी बड़ी फिल्मों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.. लेकिन छोटी फिल्मों की बिजनेस खत्म हो जाती है।

पाइरेसी क्राइम है

बता दें, पाइरेसी एक क्राइम है। हर फिल्म रिलीज होने से पहले आजकल एक्टर्स, डाइरेक्टर्स लोगों से विनती करते हैं कि कृप्या फिल्म थियेटर में जाकर ही देंखे। लेकिन पाइरेसी का जाल बढ़ता जा रहा है। लिहाजा, इस पर लगाम कसना है तो मनोरंजन को थोड़ा सस्ता करना पड़ेगा।