सुप्रीम कोर्ट ने आज (मंगलवार) तीन तलाक के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे आज से खत्म कर दिया है। फैसले में तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया है। ये तीन जज जस्टिस नरीमन, जस्टिस ललित और जस्टिस कुरियन हैं। वहीं, चीफ जस्टिस खेहर और जस्टिस नजीर ने संवैधानिक बताया है। बता दें कि चीफ जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच की संविधान पीठ ने गर्मियों की छुटिटयों के दौरान छह दिन सुनवाई के बाद 18 मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
अपडेट्स
11:00 am: जस्टिस नरीमन, ललित और कुरियन ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया, चीफ जस्टिस खेहर और नजीर ने कहा संवैधानिक
10:56am: तीन जजों ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताया-मीडिया रिपोर्ट्स
10:49 am: चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा, तलाक असंवैधानिक नहीं। यह सविंधान के 14, 15, 21 और 25 के खिलाफ नहीं।
10:42 am: 6 महीने तक तीन तलाक पर रोक, संसद बनाए कानून- सुप्रीम कोर्ट
10:40 am: संसद तीन तलाक पर कानून बनाए- सुप्रीम कोर्ट
10:37 am: जस्टिस जेएस खेहर के बाद बारी-बारी से चार जज सुनाएंगे फैसला
10:35 am: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस खेहर ने फैसला पढ़ना शुरू किया।
10:30 am: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस खेहर समेत सभी 5 जज कोर्ट पहुंचे।
10:17 am: पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी बोले, यह एक बड़ा दिन है, देखते हैं कि फैसला क्या आता है।
09:50 am: तीन तलाक की पीडि़ता और याचिकाकर्ता सायरा बानो ने कहा, ‘मुझे लगता है कि फैसला मेरे पक्ष में आएगा। समय बदल गया है और कानून जरूर बनाया जाएगा।
09:40 am: चीफ जस्टिस जे.एस खेहर की अध्यक्षता में 5 जजों की पीठ सुनाएगी फैसला। इस पीठ में खेहर के अलावा, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं की दलील
1. तीन तलाक महिलाओं के साथ भेदभाव है।
2. महिलाओं को तलाक लेने के लिए कोर्ट जाना पड़ता है, जबकि पुरुषों को मनमाना हक है।
3. कुरान में तीन तलाक का जिक्र नहीं है।
4. ये गैर कानूनी और असंवैधानिक है।
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत की दलील
1. ये अवांछित है, लेकिन वैध
2. ये पर्सनल ला का हिस्सा है कोर्ट दखल नहीं दे सकता
3. 1400 साल से चल रही प्रथा है ये आस्था का विषय है, संवैधानिक नैतिकता और बराबरी का सिद्धांत इस पर लागू नहीं होगा
4. पर्सनल ला को मौलिक अधिकारों की कसौटी पर नहीं परखा जा सकता
सरकार की दलील
1. ये महिलाओं को संविधान मे मिले बराबरी और गरिमा से जीवनजीने के हक का हनन है
2. ये धर्म का अभिन्न हिस्सा नहीं है इसलिए इसे धार्मिक आजादी के तहत संरक्षण नहीं मिल सकता।
3. पाकिस्तान सहित 22 मुस्लिम देश इसे खत्म कर चुके हैं
4. धार्मिक आजादी का अधिकार बराबरी और सम्मान से जीवन जीने के अधिकार के आधीन है
5. अगर कोर्ट ने हर तरह का तलाक खत्म कर दिया तो सरकार नया कानून लाएगी।