नई दिल्ली एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता लगातार कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं तो दूसरी तरफ संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कांग्रेस मुक्त भारत के नारे से इनकार किया है। मोहन भागवत का कहना है कि यह संघ की भाषा नहीं है बल्कि यह एक राजनीतिक नारा है। रविवार को संघ के समावेशी विचार के बारे में बात करते हुए भागवत ने कहा कि यह सब राजनीतिक नारे हैं, यह संघ की भाषा नहीं है।
हमे विरोधियों की भी जरूरत एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर बोलते हुए भागवत ने कहा कि हम मुक्ति शब्द का प्रयोग नहीं करते हैं, यह राजनीति में इस्तेमाल होता है, हम कभी भी किसो को अलग करने की बात नहीं करते हैं। हमे राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में हर किसी को शामिल करना चाहिए, लिहाजा किसी को भी अलग करने की हम बात नहीं करते हैं। भागवत ने कहा कि राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में हमे उन लोगों को भी शामिल करना है जोकि हमारा विरोध
आपको बता दें कि फरवरी माह में संसद के भीतर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हम महात्मा गांधी के कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को पूरा कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि जब वह सत्ता में होती है तो देश के विकास को ताक पर रखकर गांधी परिवार की चाटुकारिता करती है। वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह लगातार इस बयान को कई मौके पर दोहराते आए हैं कि देश अब कांग्रेस मुक्त भारत की ओर आगे बढ़ रहा है।
वहीं हाल ही में उत्तर प्रदेश में दो सीटों पर हुए लोकसभा उपचुनाव के बारे में भी संघ ने चिंता जाहिर की है। रविवार को संघ के प्रमुख पदाधिकारियों और भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच हुई बैठक में कहा गया कि फूलपुर और गोरखपुर में चुनाव नतीजों से ना सिर्फ भाजपा बल्कि संघ भी सोच में पड़ गया है। चुनाव नतीजों पर इस बैठक में गंभीरता से चिंतन किया गया। इस दौरान संघ के नेताओं ने कहा कि गठबंधन के चलते भाजपा की हार को वजह बताकर संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता है। हार की मुख्य वजह लोगों की सरकार के प्रति उदासीनता है। संघ की ओर से कहा गया कि किसी की भी प्रतिमाओं को तोड़ा जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। दलितों और पिछड़ो को एकजुट करके ही हिंदुत्व को मजबूत किया जा सकता है।