जांजगीर चांपा। जांजगीर चंापा लोकसभा मे सभी प्रत्याशीयों के प्रचार प्रसार में अब तेजी आने लगी है। सभी पार्टीयो के प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के साथ वोटरो को साधने मे लगे हैं। वही कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी रवि भारद्वाज को भाजपा से कड़ी टक्कर मिल रहा है। प्रचार प्रसार में बसपा व भाजपा से कड़ी चुनौतीयों का सामना करना पड़ रहा हैं साथ -साथ पार्टी के ही लोगो से चुनौती मिल रहा है। वही दूसरी ओर मंहत खेमा रवि भारद्वाज के प्रचार प्रसार मे अलग थलग दिख रहे हैं। वे अपने नेता को जीताने कोरबा में डटें हुए है। जांजगीर चांपा लोकसभा में चुनाव प्रचार रवि भारद्वाज खुद के बल बुते पर कर रहे है। यहां पूर्व विधायक मोती देवागंन,चुन्नी साहु का साथ तो मिल रहा रहा है पर संगठन के लोग या कहे मंहत खेमा रवि भारद्वाज के चुनाव में कोई बड़े नेता के आगमन के समय ही दिखाई दे रहे है बाकी समय में उन्हे पार्टी के गतिविधियों से कोई लेना देना नही है। बहुत ही कम समय बचे है वोटिंग के लिए, लेकिन कांग्रेस पार्टी से अभी तक कोई स्टार प्रचारक का भी आगमन लोकसभा क्षेत्र में नही हुआ है। रवि भारद्वाज को जांजगीर चंापा लोकसभा से मंहत खेमा कार्यकर्ताओ को साथ मिल जाये तो चुनाव थोड़ा आसान हो सकता हैं पर मंहत खेमे के कार्यकर्ता अपना समय जांजगीर चांपा लोकसभा मे न दे कर कोरबा मे दे रहे है।
विधानसभा की स्थिति न दोहरा दे लोकसभा चुनाव …..
जांजगीर चांपा विधानसभा चुनाव मे मोती लाल देवागंन की स्थिति जिले के सभी 5 विधानसभा से बेहतर थी । वही मोती देवागंन को चुनाव प्रबंधन से लेकर कार्यकर्ताओ को मैनेज करने का तरीके सभी मे अनुभवी थे. पर ऐसा क्या हुआ कि विधानसभा में मोती देवागंन को हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा में देवागंन चांपा क्षेत्र से लीड़ करते थे इस बार वही से हार गये। जबकि चांपा क्षेत्र उनका गृह नगर है साथ नगर पालिका भी कांगे्रस के अध्यक्ष का दबदबा हैं । लेकिन समय में विरोधीयो के साथ -साथ अपने भी विरोधीयो से मिल जाते है तो निश्चित ही हार आसान हो जाता हैं और हुआ भी यही . मोती लाल देवागंन से भी यही हुआ जो अपने समझ रहे थे उन्ही से उन्हे धोखा मिला। चुनाव के बाद न इस बारे कभी हार की पार्टी मे समीक्षा हुई न ही कोई खुल कर बोला। लेकिन मोती लाल देवागंन को इस बात का ऐहसास हो गया ‘‘ हमे तो अपनो ने लुटा गैरो मे कहां दम था जहां…..