@Krishnmohan
बलरामपुर “सड़के नही तो बिजली नही “और “बिजली नही तो शादीया भी नही “यह हालात थे, भालूपानी के ,यहाँ के ग्रामीण भौतिक संसाधनों के अभाव में जीवन बसर करने पर मजबूर हुआ करते थे। दुर्गम पहाड़ियों के बीच बसे भालूपानी के हालात वर्तमान परिस्थितियों से बेहद जुदा थे, सरकार की योजनाएं भी फेल थी, बावजूद इन सबके जिला प्रशासन के एक प्रयास ने भालूपानी में सब कुछ बदल कर रख दिया। इस बस्ती के घर सौर ऊर्जा से सराबोर है, तथा पहुँच मार्ग के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है।
जनताना सरकार के बाद-अब रमन की सरकार…
दरसल शंकरगढ़ विकास खण्ड के ग्राम पंचायत कोठली के एक बस्ती भालूपानी में कभी लाल आतंक साया था,जहाँ कभी लोकतंत्र के सरकार की हुकूमत नही जनताना सरकार का कब्जा हुआ करती थी,और क्षेत्र में नक्सलवाद के खात्मे के बाद ग्रामीणों की जिंदगियों ने करवट बदली ग्रामीण सरकार से पानी ,बिजली ,स्कूल जैसी मूलभूत संसाधनों की मांग करते,लिहाजा सरकार ने भी एक कच्चे मकान में आंगनबाड़ी से लेकर मिडिल स्कूल स्थापित कर दिए,और आठ माह पूर्व भालूपानी के घरों में सौर पैनल लगाकर गाँव के घरों को रौशनी से रौशन कर दिया।
सौर पैनल ने बदल दी ग्रामीणों की सोच..
गांव के घरों में लगे सौर पैनल ने ग्रामीणों को विकास के मायने बताने में अहम रोल प्ले किया,लगभग 150 आबादी की बस्ती के बाशिंदों ने कभी नही सोचा था,की उनके घरों में लाईट जलेगी ,क्योकि उनका जीवन तो मानो कालापानी की सजा की तरह ही कट रहा था,लेकिन क्रेडा के सर्वे और जिला प्रशासन के बेहतर प्रयास ने ग्रामीणों की सोच को बदल कर रख दिया है।
भालूपानी की बस्ती दशकों पहले हुआ करता था,भालूओ का डेरा..
बीहड़ पहाड़ियों और बियाबान जंगल के बीच की बसाहट भालूपानी में वन्यजीवों के आमद रफ्त की खबरे आम बात है,और इन सबके बीच जीवन बसर करना बड़ा ही मुश्किल है,ऐसे में रात के अंधेरे में वन्य जीव और इंसान के बीच मुठभेड़ ,जिसकी कल्पना मात्र से रूह कांप उठती है,लेकिन विकास ने अंधेरे को चीरने में सफलता अर्जित की है,ग्रामीणों के चेहरों पर छलक रही मुस्कान बताती है कि वे स्थानीय प्रशासन की पहल से कितने खुश है।
पढ़ने वाले बच्चों की तादाद में इजाफा….
दिए के सहारे जैसे तैसे ग्रामीण रात काट लेते थे,लेकिन पढ़ने वाले स्कूली बच्चों को समस्याओ से दो चार होना पड़ता था,पर अब ये बच्चे सौर ऊर्जा की रौशनी से रात में पढ़ भी रहे है,और अपने भविष्य के लिए सपने बुन रहे है।
भालूपानी को विकास से जोड़ने जद में है-प्रशासन…
भालूपानी की स्थिति पहले से बेहतर हुई है,जहाँ पहले कभी लोग शादियां कराने से डरते थे,वही अब शादी की शहनाइयों की गूंज सुनाई देती है,भालूपानी का संपर्क बरसात में पंचायत मुख्यालय से ब्लाक मुख्यालय तक कट जाता है,उसे भी ठीक करने की जद में प्रशासन है,ताकि सुदूर वनांचल की अनुसूचित जाति बाहुल्य भालूपानी की दशा और दिशा दोनों बदली जा सके। वही शंकरगढ़ जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी समुन्द साय बताते है,की भालूपानी आंगनबाड़ी भवन निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है,तथा कोठली गाँव से भालूपानी तक पहुँचने सड़क निर्माण की कार्ययोजना को स्वीकृति मिल चुकी है।
भरे बरसात में पगडंडियों के रास्ते पैदल ही पहुँच गए थे -कलेक्टर…
अवनीश शरण ऐसे पहले कलेक्टर है,जिन्होंने बड़ी ही कठिनाइयों को दर किनार कर पगडंडी के सहारे ही वनांचल भालूपानी तक का सफर आठ माह पहले तय किया था,वे पहले कलेक्टर है जो पहली बार वनांचल के आदिवासी बाहुल्य भालूपानी पहुँचे थे,लिहाजा कलेक्टर के साथ उनका प्रशासनिक अमला भी मौके पर मौजूद था,उन्होंने भालूपानी का मुआयना कर अधिकारियों को आदेशित किया था,की भालूपानी मे सौर पैनल लगाए जाएं।
इस बरसात में नही होगी परेशानी-कलेक्टर…
वही कलेक्टर अवनीश शरण बताते है कि उन्होंने गाँव मे पहुँच मार्ग और आंगनबाड़ी भवन समेत तमाम विकास कार्यो की स्वीकृति दे दी है,तथा निर्माण कार्य वर्षा ऋतु के पूर्व ही पूर्ण कर लिए जाएंगे।