कृषि सिंचाई योजना में खर्च होंगे 55 हजार करोड़ रूपए, PM ने की तारीफ,

रायपुर

किसानों की आमदनी अगले छह वर्ष में (वर्ष 2022 तक) दोगुनी करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने तात्कालिक और दीर्घकालीन कार्य योजना तैयार कर ली है।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा इस कार्य योजना के बारे में दिए गए प्रस्तुतिकरण को देखा और इसके लिए मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए उन्हें केन्द्र की ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

प्रधानमंत्री के साउथ ब्लॉक स्थित कार्यालय में मुख्यमंत्री ने अपने प्रस्तुतिकरण में उन्हें बताया कि राज्य सरकार सूखे और अकाल के प्राकृतिक संकट से निपटने के लिए अल्प कालीन और दीर्घकालीन रणनीति बनाकर काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने श्री मोदी को बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत राज्य में 54 हजार 931 करोड़ खर्च करने की योजना तैयार की गई है। श्री मोदी ने इसके लिए भी मुख्यमंत्री की प्रशंसा की।
डॉ. रमन सिंह ने प्रधानमंत्री के समक्ष राज्य में मनरेगा के तहत जल संरक्षण आदि के लिए विगत दस वर्ष में किए गए स्थायी महत्व के निर्माण कार्यों के बारे में भी बताया। श्री मोदी ने इस पर काफी खुशी जतायी। मुख्यमंत्री ने श्री मोदी के समक्ष लगभग एक घंटे तक प्रस्तुतिकरण दिया। बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह, छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड, कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अजय सिंह, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री अमन कुमार सिंह सहित केन्द्र और राज्य सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रस्तुतिकरण में बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इस वर्ष राज्य के लगभग 15 लाख किसानों का बीमा कराने का लक्ष्य है।डॉ. रमन सिंह आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह जानकारी दी। डॉ. सिंह ने सूखे से निपटने के लिए केन्द्र सरकार से राज्य को मिल रहे सहयोग के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया।  डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में आम तौर पर 1200 मिलीमीटर औसत बारिश होती है, लेकिन पिछले साल मानसून कमजोर रहा और सिर्फ 1000 मिलीमीटर बारिश हुई। इसके फलस्वरूप राज्य को विगत बारह वर्ष में पहली बार सूखे का सामना करना पड़ा। राज्य के लगभग 150 तहसीलों में से 117 तहसीलों को सूखा प्रभावित घोषित कर किसानों और ग्रामीणों को राहत पहुंचाने के सभी उपाय किए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सूखे की प्राकृतिक विपदा से निपटने के लिए तात्कालिक उपायों के तहत राष्ट्रीय आपदा राहत निधि और राज्य आपदा राहत निधि से लगभग दस लाख किसानों को 502 करोड़ रूपए की सहायता दी जा चुकी है, वहीं लगभग छह लाख 30 हजार किसानों को राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के तहत 658 करोड़ रूपए दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि दीर्घकालीन उपायों के तहत भू-जल संरक्षण, टपक सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा देने तथा अन्य सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए भी कार्य योजना बनाई गई है। वर्ष 2016-17 में भू-जल संरक्षण के लिए 53 हजार से अधिक तालाब निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पेयजल संकट से निपटने के लिए  भी योजनाबद्ध प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत नलकूपों (हैण्डपम्पों) में एक लाख 94 हजार मीटर राईजर पाईप बढ़ाए गए हैं। शहरी क्षेत्रों में वाटर एटीएम की योजनाएं चरणबद्ध ढंग से शुरू की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य में तात्कालिक राहत उपायों के तहत लगभग 24 लाख किसानों का 02 करोड़ 60 लाख रूपए का लगान माफ किया गया, वहीं 6 लाख 90 हजार किसानों का सिंचाई टैक्स भी माफ कर दिया गया। सूखा प्रभावित तहसीलों के 9000 गांवों में एक क्विंटल चावल का वितरण किया गया। मनरेगा के तहत 80 करोड़ रूपए की राशि से 10 लाख जरूरतमंदों को 200 दिन के रोजगार की व्यवस्था की गई है। लगभग 4 लाख सिंचाई पम्पों को 208 करोड़ रूपए की बिजली निःशुल्क दी गई। राज्य सरकार की कृषक जीवन ज्योति योजना के तहत पांच हार्सपावर तक सिंचाई पम्पों को सालाना साढ़े सात हजार यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है, जबकि इस बार सूखे के संकट को ध्यान में रखकर प्रभावित क्षेत्रों में प्रत्येक पम्प धारक किसान को 1500 अतिरिक्त यूनिट निःशुल्क बिजली दी गई। लगभग 9 लाख 50 हजार किसानों के अल्पकालीन ऋण को दीर्घकालीन ऋण में परिवर्तित किया गया, इससे किसानों को ब्याज में 300 करोड़ की छूट का लाभ मिला। डॉ. सिंह ने बताया कि सूखा प्रभावित किसानों को आगामी मानसून में खरीफ की बोनी के लिए अधिकतम एक क्विंटल धान बीज निःशुल्क दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में राज्य शासन द्वारा प्रत्येक विवाह के लिए पंद्रह हजार रूपए की सहायता दी जाती है, लेकिन इस वर्ष सूखा प्रभावित किसानों की बेटियों के लिए यह राशि दोगुनी कर दी गई है और उन्हें तीस हजार रूपए के मान से सहायता दी जा रही है।
डॉ. रमन सिंह  ने प्रस्तुतिकरण में बताया – दीर्घकालीन योजना के तहत वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी करने की रणनीति बनायी है। वर्तमान में किसानों को खेती के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण सुविधा दी जा रही है। इसे जारी रखा जाएगा, वहीं गुणवत्तयुक्त बिजली आपूर्ति, विभिन्न स्थानों में फूडपार्क की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री ने बैठक में यह भी बताया कि महानदी में 6 बैराज बनाए जा रहे हैं, जो मार्च 2017 में पूरे हो जाएंगे। इससे 3,149 हेक्टेयर मे अतिरिक्त सिंचाई होगी और राज्य सरकार को 200 करोड़ का राजस्व मिलेगा। प्रतिवर्ष 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बढ़ायी जाएगी। भूमिगत जल के बजाय सतही जल को पेयजल के लिए उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। शहरी क्षेत्रों मंे रूफटॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा दिया जाएगा। वर्तमान में 10,029 रूफटॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग स्थापित किये जा चुके हैं। सिंचाई के लिए ड्रिप पद्धति और स्प्रिंकलर को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में 2 लाख 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप पद्धति और स्प्रिंकलर सिंचाई हो रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए दंतेवाड़ा पैटर्न पर मोचोबाड़ी योजना को बढ़ावा दिया जाएगा।