झारखण्ड की तुलना में कई मामलों में बेहतर स्थिति में है छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री श्री अजय चन्द्राकर ने गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रांची (झारखण्ड) की विशाल आमसभा में छत्तीसगढ़ के तेज गति से हो रहे विकास को लेकर दिए गए बयान का स्वागत किया है। श्री चन्द्राकर ने आज यहां कहा कि श्री मोदी ने अगर देश के दो नये राज्यों झारखण्ड और उत्तराखण्ड की तुलना में छत्तीसगढ़ को सर्वाधिक तेजी से विकसित होते राज्य के रूप में प्रस्तुत किया है, तो उनका यह प्रस्तुतिकरण निश्चित रूप से वास्तविक तथ्यों पर आधारित है। श्री मोदी का बयान स्वागत योग्य है और छत्तीसगढ़ की दो करोड़ 55 लाख जनता के लिए उत्साहवर्धक है। झारखण्ड के मुकाबले में विकास के कई मामलों में छत्तीसगढ़ बेहतर स्थिति में है।
श्री चन्द्राकर ने बताया कि वास्तव में केन्द्रीय योजना आयोग द्वारा प्रकाशित आंकड़े और तथ्य भी श्री नरेन्द्र मोदी के दावे का समर्थन करते हैं। श्री चन्द्राकर ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा छत्तीसगढ़ को झारखण्ड की तुलना में गरीब राज्य बताना श्री मोदी को बदनाम करने और तथ्यों और आंकड़ों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने का ही एक असफल प्रयास है। श्री चन्द्राकर ने यह भी कहा कि श्री मोदी की मंशा झारखण्ड राज्य का उपहास करने की नहीं बल्कि यह बताने की है कि प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण कोई भी नया राज्य विकास के पथ पर कैसे आगे बढ़ सकता है। इसी कड़ी में उन्होंने छत्तीसगढ़ को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया था। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने विगत एक दशक में अपनी विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के जरिए विकास के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी सकारात्मक पहचान बनायी है।
श्री चन्द्राकर ने केन्द्रीय योजना आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा देश के राज्यों की वित्तीय स्थिति के बारे में वर्ष 2012-13 में किए गए अध्यययन का भी उल्लेख किया। उन्होंने इस अध्ययन रिपोर्ट के आंकड़ों सहित उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 2004-05 से 2011-12 के बीच छत्तीसगढ़ में गरीबी के आंकड़ों में 9.5 प्रतिशत की कमी आयी, जबकि झारखण्ड में इसी अवधि में गरीबी केवल 8.4 प्रतिशत कम हुई। केन्द्रीय योजना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2012-13 में छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति औसत वार्षिक आमदनी (वर्तमान मूल्यों पर) 52 हजार 689 रूपए तक पहंुच गयी, जबकि झारखण्ड में यह 43 हजार 384 रूपए थी। इस प्रकार छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति वार्षिक आमदनी झारखण्ड की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। छत्तीसगढ़ में योजना के आकार में वृद्धि (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) वर्ष 2002-03 से 2011-12 के बीच 28.4 प्रतिशत और झारखण्ड में 21.52 प्रतिशत थी। सकल राज्य घरेलू उत्पाद में वृद्धि वर्ष 2004-05 से 2012-13 के बीच छत्तीसगढ़ में 8.59 प्रतिशत और झारखण्ड में 7.37 प्रतिशत दर्ज की गयी। दोनों राज्यों के कुल व्यय में से सामाजिक क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2012-13 में छत्तीसगढ़ सरकार ने 49.3 प्रतिशत राशि खर्च की जबकि झारखण्ड में 45.4 प्रतिशत राशि सामाजिक क्षेत्र में व्यय की गयी। भारतीय रिजर्व बैंक की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार देश के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ सरकार ने सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं में सर्वाधिक राशि खर्च की है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि झारखण्ड की तुलना में विकास के हर मामले में छत्तीसगढ़ बेहतर स्थिति में है।
श्री चन्द्राकर ने कहा कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के आंकड़ों में प्रति व्यक्ति मासिक व्यय को राज्य विशेष के गरीबी रेखा निर्धारण के लिए उपयोग किया जाता है। अतः इसे ‘प्रति व्यक्ति आय’ के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। वास्तव में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में गरीब परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए अनेक महत्वाकांक्षी योजनाएं संचालित की जा रही है। इन योजनाओं में लाखों लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है। श्री चन्द्राकर ने यह भी कहा कि दसवीं और ग्यारहवीं योजना अवधि में छत्तीसगढ़ के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर झारखण्ड की तुलना में एक प्रतिशत अधिक है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य में लगातार कायम वित्तीय अनुशासन के कारण ही छत्तीसगढ़ की वित्तीय स्थिति लगातार सुदृढ़ बनी हुई है। इसके फलस्वरूप आयोजना व्यय के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उदाहरण स्वरूप भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा राज्यों की वित्तीय स्थिति के बारे में किए गए अध्ययन के अनुसार कुल ऋण दायित्व – सकल राज्य घरेलू उत्पाद (क्मचज.ळैक्च्) के अनुपात और ब्याज भुगतान – सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में छत्तीसगढ़ को लगातार सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों की श्रेणी में शामिल किया गया है। रिजर्व बैंक की यह अध्ययन रिपोर्ट छत्तीसगढ़ राज्य के निरन्तर विकास की संभावनाओं की ओर संकेत करती है।