
रायपुर। छत्तीसगढ़ी और हिंदी साहित्य जगत ने आज एक महान हस्ती को खो दिया। देश-विदेश में अपनी हास्य-व्यंग्य कविताओं से पहचान बनाने वाले सुप्रसिद्ध कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का आज दोपहर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 71 वर्ष के थे और मूलतः बेमेतरा जिले के निवासी थे।
डॉ. दुबे सिर्फ एक कवि नहीं, बल्कि एक लेखक और संस्कृतिकर्मी भी थे। उन्होंने देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर कवि सम्मेलनों में भाग लिया और कुमार विश्वास, शैलेश लोढ़ा, सुनील जोगी जैसे नामचीन कवियों के साथ काव्यपाठ किया। उनके व्यंग्यबाण शब्दों में लिपटे होते थे, जिनमें समाज की गहरी सच्चाई झलकती थी।
छत्तीसगढ़ की राजनीति और संस्कृति से उनका गहरा जुड़ाव रहा। रमन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में वे राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे। उनकी साहित्यिक सेवाओं और हास्य विधा में अद्वितीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मश्री’ सम्मान से अलंकृत किया था।
डॉ. दुबे ने रायपुर के एसीआई अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही प्रदेश ही नहीं, देशभर के साहित्यिक जगत और राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई।
सोशल मीडिया पर उमड़ा शोक संदेशों का सैलाब
देशभर के नामचीन कवि, लेखक, कलाकार और नेता डॉ. दुबे को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। कई लोगों ने उनके साथ बिताए संस्मरणों को साझा करते हुए उनकी रचनात्मकता, विनम्रता और हास्यबोध को याद किया।
छत्तीसगढ़ के साहित्यिक परिदृश्य में उनकी अनुपस्थिति कभी पूरी नहीं की जा सकेगी। डॉ. सुरेंद्र दुबे का जाना केवल एक कवि का जाना नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की माटी से उपजे हास्य-व्यंग्य परंपरा के एक युग का अंत है।