Supreme Court: मोबाइल फोन आजकल हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। देश में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की संख्यां आज 100 करोड़ से भी ऊपर पहुंच गया है। इन दिनों जब भी कोई क्राइम होता है तो पुलिस सबसे पहले अपराधी का मोबाइल फोन खंगालते हैं, ताकि कोई सुराग मिल जाए। मोबाइल का मैसेज, कॉल हिस्ट्री, वेब हिस्ट्री, फोटो, वीडियो, सोशल मीडिया पोस्ट आदि अपराध का पता लगाने में मदद कर सकते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि अगर फोन के मैसेज, फोटो, वीडियो या फिर कॉल हिस्ट्री को डिलीट कर दिया जाए, तो क्या इसे अपराध माना जाएगा?
सुप्रीम कोर्ट ने दूर की यूजर्स की दुविधा
देश के करोडों मोबाइल फोन यूजर्स की इस दुविधा को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने दूर कर दिया है। देश की शीर्ष अदालत ने माना कि फोन से मैसेज डिलीट करना कोई अपराध नहीं है। आज कल यूजर्स तेजी से मोबाइल फोन को बदलते हैं। मोबाइल फोन को समय-समय पर अपग्रेड करने की वजह से फोन से मैसेज, कॉल आदि डिलीट हो जाते हैं। ऐसे में इसे एक अपराध नहीं माना जा सकता है।
मोबाइल फोन को बताया प्राइवेट चीज
सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों मोबाइल यूजर्स को राहत देते हुए कहा कि उनका फोन एक प्राइवेट चीज है। ऐसे में यूजर्स प्राइवेसी की वजह से भी फोन से कई चीजें डिलीट कर देते हैं। साथ ही, तकनीकी कारणों से भी फोन के मैसेज या फोटो और वीडियो आदि को डिलीट किया जाता है। फोन की स्टोरेज खाली करने के लिए अक्सर यूजर्स ये करते हैं, ताकि फोन स्लो न हो।
जस्टिस बी आर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह एक सामान्य ह्यूमन कंडक्ट है, इसे अपराध की श्रेणी और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता है। हालांकि, आईटी एक्ट के तहत सोशल मीडिया के लिए रेगुलेशन है, जिसके तहत भारतीय संविधान के धाराओं के मुताबिक कार्रवाई की जा सकती है। हाल ही में केन्द्र सरकार ने आईटी एक्ट में कई नए नियम भी जोड़े हैं।
इन मामलों में हो सकती है कानूनी कार्रवाई
वैसे तो भारत में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर कोई नियम नहीं है। लेकिन अगर, आप मोबाइल फोन का इस्तेमाल मैसेज या कॉल के जरिए धमकाने के लिए करते हैं, तो आप पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत कार्रवाई की जा सरती है।
वहीं, आप अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल प्राइवेसी के उल्लंघन के लिए करते हैं, तो भी आप पर कार्रवाई की जा सकती है।
इसके अलावा मोबाइल फोन के जरिए किसी प्राइवेट जानकारी को लीक करना और सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो शेयर करना कानून का उल्लंघन माना जाता है।