Kanwar Yatra: कांवड़ यात्रा रूट पर खाने की दुकानों पर नेम प्लेट के मामले में आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई है। उत्तर प्रदेश की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि यूपी ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। यूपी की ओर से वकील ने ये भी कह दिया है कि कोर्ट ने एकतरफा आदेश दिया है, जिससे हम सहमत नहीं है। आपको बता दें कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस SVN भट्टी की बेंच कर रही है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दुकानों के आगे नेम प्लेट लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
किस राज्य ने कोर्ट में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड ने कहा कि जवाब दाखिल करने के लिए उसे दो हफ्ते का समय चाहिए। वहीं, मध्य प्रदेश ने कहा कि उनके प्रदेश मे ऐसा नहीं हुआ। सिर्फ उज्जैन म्युनिसिपल ने आदेश जारी किया था लेकिन कोई दबाव नहीं डाला गया है। यूपी की ओर से वकील रोहतगी ने कहा कि सोमवार को इस मामले पर सुनवाई कर ली जाए वरना इसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
कोर्ट ने एकतरफा आदेश दिया- यूपी सरकार
यूपी सरकार के वकील रोहतगी ने कहा कि कोर्ट ने एकतरफा आदेश दिया है, जिससे हम सहमत नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि हमें शिव भक्त कांवड़ियों के भोजन की पसंद का भी सम्मान करना चाहिए। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जवाब मे यूपी सरकार ने स्वीकार किया है कि कम समय के लिए ही सही हमने भेदभाव किया है।
इस मामले में केंद्रीय कानून है- यूपी सरकार
सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि यह कहना गलत है कि मालिक का नाम प्रदर्शित करने के लिए कोई कानून नहीं है। वहीं, यूपी सरकार के वकील में कहा हमने जो किया उसके लिए केंद्रीय कानून है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा कानून है तो पूरे देश में इसे लागू होना चाहिए। इस साल ही अचानक से ऐसा क्यों किया गया? वो भी अचानक से एक खास इलाके में हो क्यों?
नाम प्रदर्शित करने की मांग को लेकर यूपी सरकार के समर्थन मे दाखिल एक याचिका के वकील ने कहा-
– होटल के अंदर जाने पर हमने पाया कि कर्मचारी अलग हैं।
– मांसाहारी भोजन परोसा जाता है।
– मैं अपने मौलिक अधिकार के बारे में चिंतित हूं।
– स्वेच्छा से यदि कोई प्रदर्शन करना चाहता है, तो उसे ऐसा करने की अनुमति होनी चाहिए।
– अंतरिम आदेश में इस पर रोक लगाई गई है।
सुनवाई टली
दुकानों के आगे नेम प्लेट मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। अंतरिम रोक का आदेश बरकरार रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा आदेश साफ है। अगर कोई अपनी मर्जी से दुकान के बाहर अपना नाम लिखना चाहता है तो हमने उसे रोका नहीं है। हमारा आदेश था कि नाम लिखने के लिए मज़बूर नहीं किया जा सकता।