Gobar Se Bane Prakrtik Pent: छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के ग्राम मंझगवां में ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय औद्योगिक पार्क’ योजना के तहत् गोबर से प्रकृतिक पेंट बनाने की इकाई शुरू किया गया हैं। यहां प्रगति स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर पेंट बनाने का कार्य शुरू किया गया हैं। इनके द्वारा महज 15 दिन में ही 800 लीटर पेंट बनाया गया हैं। जिसमें से 500 लीटर पेंट का विक्रय भी किया जा चुका हैं। बेचे गए पेंट की कीमत लगभग 60 हज़ार रुपए हैं। गोबर से बने प्रकृतिक पेंट को सी-मार्ट के जरिए खुले बाजार में बेचने के लिए रखा जा रहा हैं।
सीएम बघेल की पहल पर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा, गरुवा, घुरवा और बाड़ी व गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट के साथ ही अन्य सामग्रियों का निर्माण महिला स्व सहायता समूहों के द्वारा किया जा रहा हैं। गौमूत्र से फसल कीटनाशक और जीवामृत तैयार किये जा रहे हैं। महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क योजना (रीपा) आत्मनिर्भरता और सफलता की नई इबारत लिख रही हैं। इन सबके साथ, अब गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने का काम भी पूरे प्रदेश में शुरू हो चुका हैं। महिलाएं प्रशिक्षण लेकर स्व सहायता समूहों के माध्यम से पेंट का निर्माण कर रही हैं।
गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का, सभी शासकीय भवनों में अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करने के निर्देश-
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण के लिए राज्य में 42 उत्पादन इकाइयों को स्वीकृती दी गयी हैं। इनमें से 13 उत्पादन इकाइयों की की स्थापना हो चुकी है जबकि 21 जिलों में 29 इकाइयां स्थापना के लिए प्रक्रियाधीन हैं। शासन का निर्देश हैं कि सभी शासकीय भवनों में अनिवार्य रूप से गोबर से निर्मित प्राकृतिक पेंट का इस्तेमाल हो।
पर्यावरण के अनुकूल है प्राकृतिक पेंट-
गोबर से बने प्राकृतिक पेंट में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, पर्यावरण अनुकूल, प्राकृतिक ऊष्मा रोधक, किफायती, भारी धातु मुक्त, अविषाक्त एवं गंध रहित गुण पाये जाते हैं। गुणों को देखते हुये छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समस्त शासकीय भवनों की रंगाई हेतु गोबर से प्रकृतिक पेंट के उपयोग के निर्देश दिये गए हैं।
पेंट निर्माण से ग्रामीण महिलाओं को हो रहा फ़ायदा-
गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया में पहले गोबर और पानी के मिश्रण को मशीन में डालकर अच्छी तरह से मिलाया जाता हैं और फिर बारीक जाली से छानकर अघुलनशील पदार्थ हटा लिया जाता हैं। फिर कुछ रसायनों का उपयोग करके उसे ब्लीच किया जाता हैं तथा स्टीम की प्रक्रिया से गुजारा जाता है। उसके बाद CMS नामक पदार्थ प्राप्त होता हैं। इससे डिस्टेम्पर और इमल्सन के रूप में उत्पाद बनाए जा रहे हैं। महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के अंतर्गत महिला स्व सहायता समूहों द्वारा प्राकृतिक पेंट का उत्पादन उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम कर रहा हैं। प्राकृतिक पेंट की मांग को देखते हुए इसका उत्पादन भी दिन ब दिन बढ़ाया जा रहा हैं।