नई दिल्ली. पूरी दुनिया एक बार फिर कोरोना वायरस के कहर से परेशान हो गई है. हर दिन हजारों की संख्या में कोरोना वायरस संक्रमण के नए केस दर्ज किए जा रहे हैं. कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन भी अब चिंता का विषय बन गया है. यह वेरिएंट इस समय 110 देशों में फैल चुका है. दुनियाभर में इसके मरीज अस्पताल में भर्ती होना शुरू हो गए हैं. साथ ही कुछ की जान भी जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चेताया है कि इसे हल्का समझने की भूल नहीं करनी चाहिए. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस गेब्रेयेसस ने कहा है कि ओमिक्रॉन डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम गंभीर जरूर लग रहा हो, खासकर टीका लगवा चुके लोगों में. लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है इसे हल्के वेरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए.
अन्य वेरिएंट से कितना घातक?
पिछले साल नवंबर में दक्षिण अफ्रीका में पाया गया कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन अब तेजी से फैल रहा है. लेकिन अभी तक दुनिया भर के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के पास इसकी भरपूर जानकारी नहीं है. अभी इसे समझने के लिए अधिक डेटा की जरूरत है. लेकिन जितनी जानकारी उपलब्ध है, उससे यही पता चलता है कि यह पिछले सभी वेरिएंट के मुकाबले बेहद तेजी से फैलता है. मतलब यह अल्फा और डेल्टा वेरिएंट से भी अधिक तेजी से लोगों को चपेट में ले रहा है.
कितने दिनों में दिखते हैं इसके लक्षण?
कोरोना वायरस संक्रमण के इस ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान अभी मरीज के जीनोम सीक्वेंसिंग से हो रही है. हालांकि कुछ किट भी आ गई हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरोना वायरस के पहले वेरिएंट से जब कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो उसमें इसके लक्षण 2 दिनों से लेकर दो हफ्तों तक में दिखाई देते हैं. लेकिन ओमिक्रॉन बेहद खतरनाक है. इसके लक्षण महज 3 से 5 दिनों में ही दिखाई देने लगते हैं. ब्रिटेन की हेल्थ सेक्योरिटी एजेंसी भी सुझाव दे चुकी है कि यह डेल्टा वेरिएंट से बेहद कम समय में अपनी चपेट में ले रहा है.
ओमिक्रॉन क्यों फैल रहा है तेजी से?
इसके लक्षण दिखने या इसकी चपेट में आने के समय को लेकर इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि आखिर ये कैसे इतनी जल्दी फैल रहा है. दरअसल इसकी चपेट में आने का समय बेहद कम है, मतलब ये जल्दी व्यक्ति को संक्रमित कर देता है. जब तक लक्षण सामने नहीं आते हैं तब तक लोग ये समझ ही नहीं पाते कि वह ओमिक्रॉन से संक्रमित हैं. इसके कारण वह जांच भी देर से कराते हैं. इस बीच यह वेरिएंट उनके जरिये दूसरे लोगों को भी चपेट में ले लेता है. इसके कारण दूसरे लोगों को चेताने, उन्हें आइसोलेट करने का समय ही नहीं मिल पाता. विशेषज्ञों का कहना है कि इंक्यूबेशन पीरियड जितना कम होगा वायरस उतना अधिक खतरनाक होगा.
दूसरे वेरिएंट से अलग हैं ओमिक्रॉन के लक्षण?
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक ओमिक्रॉन के लक्षण भी कोरोना वायरस के दूसरे वेरिएंट से अलग हैं. इस कारण भी लोग समझ नहीं पाते हैं कि वह इससे संक्रमित हो चुके हैं. मसलन पहले के वेरिएंट में लोगों को खांसी, बुखार, जुकाम और स्वाद व गंध का चला जाना जैसे लक्षण होते थे. लेकिन ओमिक्रॉन वेरिएंट में गले में खराश, शरीर के निचले पिछले हिस्से में दर्द, बहती या बंद नाक, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, छींके, रात में पसीने आना जैसे लक्षण दिख रहे हैं.
कितने दिन में ठीक हो रहे हैं ओमिक्रॉन के मरीज?
ब्रिटेन की रिपोर्ट के मुताबिक वहां ओमिक्रॉन के मरीज 5 दिनों से लेकर एक हफ्ते के अंदर औसतन समय में ठीक हो रहे हैं. हालांकि कुछ लोगों में खांसी और थकान जैसे लक्षण लंबे समय तक दिखते हैं. वहीं कुछ गंभीर मरीजों में सांस लेने में तकलीफ भी देखी जा रही है. इन मरीजों को ठीक होने में 13 दिनों का समय लग रहा है.