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कोयले की काली दुनिया दूर सें जितनी बदसूरत नजर आती है …. नजदीक रहने वालो के लिए ये दुनिया उतनी ही खूबसूरत रहती है। और इस खूबसूरती से एसईसीएल के अफसर सरकार को कैसे चूना लगाते है और निजी कंपनी से सेटिंग करके कैसे करते है काले कोयले का काला कारोबार इस सच को उजागर करती ये है हमारी विशेष खबर ………
इस खबर में हम आपको बताने वाले है कि कोल घोटालो का एक छोर कोरिया जिले से कैसे संबध रखता है…. और कोयले की काली छाया में सफेद चट्टान और मिट्टी को कैसे काला किया जा रहा है। क्योकि यही से शुरू होता है काले हीरे का वह सच जहां पर बड़े – बड़े कोल घोटालों की नीव रखी जाती है।
दरअसल एसईसीएल नाम की यह मिनी रत्न कंपनी के अधिकारी रुपया कमाने की धुन में अपनी बुनियादी जबाबदेही को भूलकर मिनी रत्न कंपनी एसईसीएल को अपने घर की कंपनी समझ बैठे है। और एसईसीएल के अधिकारियो की भ्रष्ट गतिविधियो के काऱण कोयले के व्यापारी एसईसीएल के भ्रष्ट अधिकारियो से जमकर ठगे जा रहे है। जिससे व्यापारी और सरकारी कंपनियो का करोडो का नुकसान और एसईसीएल के अधिकारियो को करोडो का फायदा हो रहा है।
कैसे होता है कोयला का काला कारोबार
कोरिया जिले के सबसे बडे कोयलांचल क्षेत्र चिरमिरी में टैरेक्स मशीन द्वारा यंहा के अधिकारी खदानो से निकलने वाले काले पत्थरो को तोडवाकर उसमें मिट्टी मिलवाते है । मशीन के दांतेदार चैन के नीचे काले पत्थलो के ढेर का चुरा बनाकर उसमें पर्याप्त मात्रा में मिट्टी मिलाकर एसईसीएल के अधिकारी इस कोयले को ई-टेण्डर लेने वाले बडे कारखाना मालिको ,शासकीय कंपनियो और व्यापारियो को रेल्वे रैक के माध्यम से भेजवाने का गोरखधंधा कर रहे है।
टैरेक्स मशीन इन फोड़े हुएं पत्थरों को एकत्र कर रेल्वें बैगन में भर देती है….. जिस रेल बैगन में यह फोड़ा हुआ पत्थर और मिट्टी मिलाकर डाला जाता है उसमें से ज्यादातर कोयला सरकारी कंपनियों को भेजा जाता है …. और इस बडी मिलावट में जो कोयला पत्थरों सप्लाई करके बचा लिया जाता है वह उन निजी कंपनियों को रेक में भरकर भेजा जाता है। जिससे एसईसीएल अधिकारियों की आर्थिक सांठगाठ है। काले कोयले की सफेद चमक में अधिकारी कुछ इस तरह से लिप्त है किं उन्हे देश की संपत्ति का नापाक सौदा करने से गुरेज नही है इस तरह से कोयले की बंदरबाट में उन सरकारी कंपनियों को काफी घाटा होता है जो कोंयले के ई-टेंडर में शामिल होकर कोयला को रेक के माध्यम से मंगाती है।
इस गोरगधंधे की असली तस्वीर अब से पहले शायद आपकी आंखो में इतनी साफ नही रही होगी… लेकिन चिरमरी समेत सरगुजा संभाग के ज्यादातर एसईसीएल खदानो को कोयला डंपिग यार्ड में ये काला कारोबार ढडल्ले से जारी है। हांलाकि एसईसीएल के कुछ आला अधिकारी और प्रभावशाली जनप्रतिनिधी इस काले कारोबार के खिलाफ कार्यवाही का आश्वासन तो देते है …. लेकिन एसईसीएल के रसूकदार धनाड्य अधिकारी उनको भी अपने प्रभाव में लेकर मामले को दफन कर देते है।
कैसे होती है मिट्टी और कोयले की मिलावट———— पत्थरो को चुरा यानी तोड़ कर मिटटी सहित रेल्वे वेगन में डाला जाता है इस बीच मान लीजिये गर रेल्वे बैगन में ऊपर से पत्थर दिखाई दे तो उसे अलग से फोड़ कर चुरा किया जाता है