- महानवमीं में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़
- सीताबेंगरा से रामगढ़ पहाड़ी तक लाखों श्रद्धालुओं की लगी कतार
सीताबेंगरा से रामगढ़ पहाड़ी के प्राचीन मंदिर तक चैत रामनवमीं में श्रद्धालुओं का तांता विगत पंचमी तिथि से वर्तमान तक लगा हुआ है। रामनवमीें में लगने वाले इस मेले की प्रसिद्धि प्रतिवर्ष बढ़ती ही जा रही है । श्रद्धालुओं की तादाद भी लगातार बढ़ती चली जा रही है। पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व की इस पहाड़ी के गर्भ में ना जाने कितने रहस्य आज भी छुपे हुये है। रामगढ़ पहाड़ी के सफर की शुरूआत विश्व की प्राचीनतम् नाट्यशाला(सीताबेंगरा), हथफोड़ (हाथीपोल), लक्ष्मण बेंगरा, से होती है। पहली चढ़ाई के बाद एक भव्य हनुमान जी की प्रतिमा नजर आती है । उसके आगे दुरूह रास्तों से होकर छोटे तुर्रा, बड़े तुर्रा नजर आता है जहां श्रद्धालु बिश्राम कर अपनी थकान मिटाते है एवं आगे का सफर शुरू करते है । कुछ आगे चलने के बाद धुनी रमाये साधुओं की टोली भी नजर आती है। कुछ दूर चलकर पहाड़ों के बीचोबीच पहली सीढ़ी नजर आती है जहां से शुरू होता है 632 सीढि़यों की कठिन चढ़ाईं । सीढ़ी से चलते हुये पहाड़ी के मध्य में एक तरफ टूटा हुआ प्राचीन सिंह द्वार अपनी ऐतिहासिक विरासत को दर्शाता हुआ आज भी विराजमान है। लगभग आधे घंटे की चढ़ाई के बाद प्राचीन राम मंदिर नजर आता है । जिसे देखने के बाद सफर की सारी थकान स्वतः खो जाती है एवं अलौकिक आनंद की अनुभूति होती है। श्रद्धालुओं की लंबी कतार से श्रीराम के दर्शन होने में काफी समय लग जाता है, मंदिर के अंदर 3-4 बैगाओं के द्वारा परंपरागत रूप से पूजा अर्चना कराई जाती है। मंदिर में दर्शन के बाद श्रद्धालु अपनी स्वेच्छानुसार चंदन माटी, चंदन तालाब, जानकी तालाब, दुर्गा गुफा, शिव मंदिर के दर्शन करते है।
नवरात्र के अवसर पर लगने वाले इस मेले की तैयारियां स्थानीय रामगढ़ सेवा समिति द्वारा मेला से एक महीने पूर्व से की जाती है। रामनवमीें के पहले दिन से ही प्रदेश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो जाता है। लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केन्द्र प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। जहां प्रशासन के नाम पर सिर्फ पुलिस वाले ही नजर आते है बाकी और कोई नही। रामगढ़ विकास के नाम पर करोड़ों रूपये स्वीकृत तो हो जाती है परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके जीर्ण शीर्ण पहुंच मार्ग जिस पर मेले के समय वन विभाग द्वारा मिट्टी डालकर अपनी जिम्मेदारियों से बला टाल लेते है। विगत वर्षाें में मेले के दौरान यह पहाड़ी भीषण आग के चपेट में कई बार आ चुकी है। हरियाली से भरपुर रामगढ़ की पहाड़ी वन विभाग के मैदानी अमले के हड़ताल पर होने के कारण इस साल राम भरोसे ही है। सीताबेंगरा से मंदिर तक की चार किलोमीटर की पहाड़ी के सफर में बिजली और पानी की कमी श्रद्धालुओं को खलती है। जलपान एवं ठहरने की व्यवस्था विगत कई वर्षांे से कुछ उत्साही एवं समाजसेवी भक्तांे व व्यापारियों द्वारा की जाती है जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिलती है क्योंकि इन लोगों द्वारा भी व्यवस्था सिर्फ अष्टमी और नवमीं के दिन ही की जाती है।
मंदिर स्थल पर रूकने एवं पानी की व्यवस्था ग्राम पंचायत रामनगर द्वारा नवरात्र के पहले दिन से की जा रही है। इसके अतिरिक्त रास्ते में जगह-जगह पर खजान चन्द अग्रवाल, अमित हार्डवेयर, राजेश अग्रवाल, चचंल हार्डवेयर, जय दुर्गा परिवार, रामगढ़ सेवा समिति अग्रवाल महासभा डांडगांव उदयपुर प्रेमनगर, जनपद सदस्य प्रतिनिधि सौरी नारायण, देवलाल यादव, ब्रिजेन्द्र पाण्डेय, रोहित टेकाम, गोपाल राम आदि के द्वारा भण्डारा एवं प्याउ की व्यवस्था की गई है।
महाअष्टमी के दिन सीताबेंगरा में जगराता का भव्य आयोजन किया गया था। उक्त कार्यक्रम में सरगुजा सांसद श्री कमल भान सिंह मुख्य अतिथि रहे। भारी भीड़ को देखते हुये मेला समिति और पुलिस वालों द्वारा किसी भी प्रकार के वाहन को उपर नही जाने दिया गया। पार्किंग की व्यवस्था नीचे ही की गई ।
नवमीें के दिन नेता प्रतिपक्ष श्री टीएस सिंहदेव पहुंचे और हजारों श्रद्धालुओं के बीच पैदल ही मेला का भ्रमण किये और लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं के बारे में जाना। साथ ही उन्होने सीढ़ी के बगल में रेलिंग के लिए एक लाख रूपये, बड़े तुर्रा में शेड़ निर्माण के लिए दो लाख रूपये की घोषणा की व बड़े तुर्रा के पास खाली जगहों पर पार्किंग के लिए अनुमति कराने का भी आश्वासन दिया है।
लाख दिक्कतों एवं अव्यवस्थाओं के बाद भी लाखों श्रद्धालुओं का आना एवं सफल मेले का आयोजन प्रशासन की उपेक्षा पर आस्था भारी नजर आयी। मेले को सफल बनाने में मेला समिति के सिद्धार्थ सिंह, रोहत सिंह टेकाम, अमृत यादव, वेदसाय, प्रशासन की ओर से टी आई विनोद कुमार अवस्थी, एएसआई संतोष सिंह के नेतृत्व में पुलिस अमला सक्रिय रहा।