अगर आप भी जाती हैं खुले बाल करके माता के दर्शन या जल चढ़ाने तो, दे रही हैं शोक एवं दुख को आमंत्रण…भूल कर न करे ऐसा..

फटाफट स्पेशल: नवरात्री का त्यौहार महिलाओं को बहुत ज्यादा पसंद होता है, ऐसा नहीं है कि पुरुष इसे पसंद नहीं करते लेकिन महिलाओं में इस त्यौहार को लेकर ज्यादा उत्सुकता देखने को मिलती है।

वो बाकी दिन पूजा पाठ करे या न करे लेकिन नवरात्री के समय सुबह जल्दी उठ कर घर का सारा काम निपटा कर माता रानी की भक्ति में लीन हो जाती हैं। लेकिन अंजाने में वे एक बहुत बड़ी भूल कर बैठती है।

सुबह – सुबह नहा कर बालों को बिना बांधे हुए पूजा करना….

यह उनकी बहुत बड़ी भूल होती है जो किसी भी महा संकट में उन्हें डाल सकती है। बहुत सी माताएं बहनें खुले बाल करके माता रानी के दर्शन, पूजा पाठ व जल चढ़ाती है। तो आपको बता दें कि वे अपने शोक और दुख को आमंत्रण देती हैं।

आपको किसी ने तो हटाया ही होगा कि पूजा करते वक्त सिर पर पल्लू डाल कर तथा पूरे बाल बांधकर ही जाना चाहिए। यही हमारी भारतीय संस्कृति है। लेकिन आज कल की आधुनिक महिलाएं इन सारी चीजों को ध्यान में नहीं रखती हैं। बहुत ही कम महिलाए ऐसा करते हुए नजर अती है।

अगर किसी ने नहीं बताया तो हम आपको बता देते हैं कि सिर पर पल्लू डाल कर व सारे बाल बांध कर पूजा करने में पॉजिटिव ऊर्जा यानि सकारत्मक फ़ल की प्राप्ति होती है।

यह बात आपको ज़रूर बुरी लग सकती है लेकिन बताना भी जरूरी है ताकि आप जो आज तक करती आईं हैं, उसे आगे ना करें। क्योंकि खुले बाल शोक और नकारात्म ऊर्जा के संकेत देते हैं।

रामचरिमानस में तुलसी ने क्या कहा…?

अबला कच भूषण भुरि छुधा।

धनहीन दुःखी ममता बहुधा।

अर्थात्-


कलयुग में स्त्रियों के बाल ही उनके भूषण ( गहना) है।
इसका मतलब तो आप समझ ही गए होंगे। बहुत ही छोटी लाइन में सब कुछ कह दिया गया। की आज कल की माताएं बहनें फैशन के चक्कर में क्या अनर्थ करती हैं।

रामायण में बताया गया है कि जब देवी सीता का विवाह राम से होने वाला था, तब सीता की माता ने उनसे कहा था कि विवाह के उपरांत सदैव अपने केश बांधे रखना।

हम खुले बालों का विरोध नहीं करते लेकिन यह हमारी संस्कृति नहीं है।बांधे हुए बाल आभूषण सिंगार होने के साथ साथ संस्कार व मर्यादा में रहना सिखाते हैं।

क्योंकि ये केश महिलाओं का सबसे बड़ा गहना हैं, जिसे केवल अपने पति के सामने एकांत में खोलना चाहिए ।ऋषी मुनियों ने हमेशा केश बांध कर रखने की बात कही है।

महिलाओं के लिए केश सम्हालना व उन्हें बांध कर रखना अत्यंत आवश्यक है।बिखरे एवं उलझे हुए बाल अमंगलकारी कहलाते हैं।

उदाहरण के लिए – कैकई का कोप भवन में बिखरे बालों में रुदन करना। जिससे अयोध्या का अमंगल हुआ।

जब रावण देवी सीता का अपहरण करने उसके केश पकड़ कर विमान में बैठाता है। जिसकी वजह से उसके वंश का ही नाश हो गया।

ठीक उसी तरह महाभारत में कौरवों ने द्रौपती के बालो में हाथ डाला जिससे उनका भी कोई अंश जीवित नहीं बचा।

कंस ने जब देवकी की आठवीं संतान को बालो से पलट कर मारना चाहा तब वह उसके हाथों से निकल कर महामाया बन गई। बालों पर हाथ डालने का नतीजा ये हुआ कि उसके भी कुल का सर्व नाश हो गया।

बालो को ही स्त्रियों कि सौभाग्यवती और सम्मान की निशानी कही गई है। अापने देखा होगा यदि भोजन पर बाल अा जाता है तो हम उस भोजन को ही हटा देते हैं।

हमेशा ध्यान रखें….

बालों के द्वारा ही बहुत सी तंत्र विद्या की जाती है।

जैसे वशीकरण – यदि कोई स्त्री खुले बाल करके किसी निर्जन स्थान पर जाती है, जहां किसी की अकाल मृत्य हुई हो। तो वह अवश्य ही प्रेत बाधा का योग बन जाती है।

आधुनिक युग में महिलाएं बालों को खुला ही रखना चाहती है और इसी अवस्था में पूजा पाठ भी करना चाहती है जो पूर्णतः अनुचित है।