फ़टाफ़ट डेस्क। कोरोना वायरस का संक्रमण देश और दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है। रूस, चीन जैसे देशों में इसकी वैक्सीन तैयार कर ली गई है, जबकि भारत, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश भी कामयाबी के बहुत करीब हैं। कोरोना महामारी से निपटने में सबसे प्राथमिक चुनौती इसकी ज्यादा से ज्यादा जांच करना है। कोरोना वायरस के 15 तरह के लक्षण बताए गए हैं। सामान्यत: लोग सर्दी, खांसी, बुखार होने पर कोरोना की जांच करवा रहे हैं, लेकिन क्या ये इसके पक्के लक्षण हैं?
चूंकि एक संक्रामक रोग है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है, इसलिए इसका आभास होते ही लोगों को सेल्फ आइसोलेट यानी स्वयं पृथक करने की सलाह दी जा रही है। इसके लिए सबसे पहले संक्रमण की पहचान जरूरी है। ज्यादातर देशों में सर्दी, बुखार, खांसी आदि को कोरोना का अहम लक्षण माना जा रहा है, लेकिन सामान्य फ्लू और मौसमी बीमारियों में भी ये लक्षण कॉमन हैं। इसलिए अब इस मान्यता को बदलने की जरूरत है।
एक शोध के मुताबिक कोरोना संक्रमण में गंध और स्वाद लेने की क्षमता का कम होना सबसे विश्वसनीय लक्षण माना जा रहा है। ब्रिटेन में वैज्ञानिकों के शोध से यह जानकारी सामने आई है कि दुनियाभर के अलग-अलग देशों के कोरोना संक्रमितों में ये दो लक्षण प्रमुख तौर से देखे गए हैं। दावा है कि लक्षणों को लेकर पहली बार किसी देश में इस तरह का अध्ययन हुआ है।
शोधकर्ताओं ने 23 अप्रैल से 14 मई के बीच के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। लंदन के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से मिले आंकड़ों का अध्ययन करने पर शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना संक्रमित 78 फीसदी मरीजों में सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता काफी हद तक या पूरी तरह खत्म हो गई थी। इनमें से 40 फीसदी मरीजों को न तो बुखार था और न ही खांसी-जुकाम वाले लक्षण थे।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर रचेल बैटरहम के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे ब्रिटेन में हमें इस अध्ययन के निष्कर्ष से इलाज में काफी मदद मिलने की संभावना है। डॉ. बैटरहम के मुताबिक अबतक दुनिया के कुछ ही देशों ने इन लक्षणों को प्रमुखता दी है। उनका कहना है कि इन दोनों शुरुआती लक्षणों के आधार पर पहचान होने से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सकेगा।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन से कोविड के इलाज में मदद मिलने की संभावना है। इन दो लक्षणों का पता चलते ही लोग खुद ही एकांतवास में जाने लगेंगे और अपनी कोरोना जांच करा लेंगे। घर में ही वे अलग कमरे में खुद को क्वारंटीन कर लेंगे तो परिवार के बाकी सदस्य इस संक्रमण से बचे रह सकते हैं। इससे संक्रमण फैलने से रोकने में मदद मिलेगी।
शोधकर्ताओं ने बताया कि स्वाद और गंध महसूस न होना ही संक्रमण का संकेत होगा और लोग इसी आधार पर अपनी कोरोना जांच करा सकेंगें। लोग खांसी-जुकाम होने, बुखार आने या फिर स्थिति बिगड़ने का इंतजार नहीं करेंगे। गंध और स्वाद संबंधी लक्षणों को प्रमुखता देने से कोरोना संक्रमण को दुनियाभर में नियंत्रित किया जा सकेगा।