जांजगीर-चांपा। जिला खनिज न्यास मद यानि डीएमएफ के तहत राज्य के सभी जिलों में लगभग 4 हजार करोड़ रुपए का फंड हर साल जमा होता है। लेकिन इस राशि का जिले में सही उपयोग नहीं हो रहा है। जिस उद्देश्य के तहत इसका गठन किया गया है उसके ठीक उलट इस राशि को अन्य मदों में खर्च किया जा रहा है। इसके क्रियान्वयन समिति द्वारा इसके नियमों और सिद्धांतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इसका उदाहरण इस कार्यालय की हालत से लगाया जा सकता है।
कलेक्टर कार्यालय में जिस उददेश्य से खनिज न्यास मद कार्यालय का निर्माण किया गया था अब उसका उपयोग स्टोर रूम के लिए किया जा रहा है। यहां न तो कोई विभाग के अधिकारी बैठते और न ही यहां किसी प्रकार का विभाग संबधित काम होता। लाखो खर्च कर बनाये इस भवन अब जर्जर हालत मे हैं यहां कबाड़ रखने का काम आ रहा है। यहां के दिवाल, खिड़की,दरवाजे सड़ कर टुट रहे है। लेकिन इस न तो कलेक्टर का ध्यान है और न ही खनिज विभाग के अधिकारीयो का ध्यान गया है। यह तो पहला उदाहरण हो सकता है. न जाने ऐसे कई निर्माण कार्य हुए होगे जो खनिज न्यास मद की राशि का उपयोग कर बनाया गया होगा जो गुणवत्ताहीन होने के कारण उपयोग मे लाने से पहले ही जर्जर हो गया है।