अम्बिकापुर
देश दीपक “सचिन”
आषाढ़ माह के 14 वें दिन सरगुजा में शुरू हुई बारिश की झड़ी दूसरे दिन तक रूक-रूक कर चलती रही। जहां एक ओर कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सरगुजा में मानसून अभी भी पूरी तरह से सक्रिय नहीं हुआ है वहीं दो दिन की झड़ी को देख कर ही किसान खेतो में हल चलाना शुरू कर दिये है। लबे इंतजार के बाद सरगुजा में हुई बारिस से लोगों को उमस भर्री गर्मी से राहत जरूर मिली है। परन्तु किसानों की आंखे सिर्फ अच्छी फसल की उम्मीद पर ही टिकी है। किसान खेती में जरूर जुट गये है, परन्तु जिस हिसाब से बारिस आने में इस वर्ष काफी देरी हो चुकी है, उसे लेकर आंशकित भी है। कृषि वैज्ञानिकों ने साफ कहा है कि फिलहाल मनसून के पूरी तरह सक्रिय नहीं होने के कारण धान की नर्सरी लगाने की बात किसान न सोंचे। नर्सरी लागने तेज बारिस की जरूरत पड़ेगी जो अभी नहीं हुई है। कृषि वैज्ञानिकों के तर्क व मौसम वैज्ञानिकों के अनुमानों को देखते हुये किसान सिर्फ उम्मीद पर ही खेतों में दिखाई देने लगे है।
गौरतलब है कि सरगुजा जिले में जून के प्रथम पखवाड़े में ही किसान धान की नर्सरी लगा देते है, और जून के अंतिम सप्ताह में जुलाई के अंतिम सप्ताह तक धान की रोपणी का काम पूरा कर लेते है। किन्तु पिछले दो-तीन वर्षो से मानसून ने किसानों को परेशान में डाल दिया है। गत वर्ष भी किसान जुलाई माह के प्रथम सप्ताह तक धान की नर्सरी नहीं लगा पाये थे। गत वर्ष जून माह में प्री-मानसून की बारिस होने से कम से कम मक्के की बुआई व कुछ किसानों ने धान की नर्सरी लगा ली थी। लेकिन बारिश के नहीं होने से इस वर्ष स्थिति गंभीर हो गयी है। किसान अपनी खेत की जुताई कर बारिश की बाट जोह रहे है। इस बार मानसून सही समय पर आने का पूर्वानुमान था, परन्तु ऐसा नहीं हुआ। संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर मं स्थित मौसम विज्ञान केन्द्र में 1986 से उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार 31 वर्षो में सबसे कम बारिश जून 2016 में सिर्फ 18.4 मिमी हुई है। पिछले तीन दशक में इस वर्ष जून माह को छोड़ दे तो तीन साल ऐसा है जिसमें सौ मिमी से कम बारिश हुई है। इसमे ं 1987 जून में 58.6 मिमी, 2009 मं 64.4 मिमी तथा 2013 मं 91.2 मिमी बारिश शामिल है। शेष 27 वर्षो में हर वर्ष जून के माह मं सौ मिमी से अधिक की बारिश हुई है। पिछले तीन दशक की जून की औसत बारिश 235 मिमी है। बहरहाल मौसम विज्ञान केन्द्र अम्बिकापुर के अधिकारी एएम भट्ट ने बताया कि झारखंड, उड़ीसा से लेकर पश्चिम बंगाल के गंगा तटीय इलाके में निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। दक्षिण छत्तीसगढ़ से झारखंड की ओर मानसून ट्रफ लाईन बनी है, जो उत्तरी छत्तीसगढ़ में बारिश का कारण है। उन्होने बताया कि अगले 24 घंटे मौसम का मिजाज ऐसा ही बने रहेगा। दक्षिण-पश्चिम मानसून उत्तरी छत्तीसगढ़ के साथ इससे लगे झारखं डमें सक्रिय है।
24 घंटे हो चुकी है इससे अधिक बारिश
जून 2016 में जितनी बारिश हुई है उससे कई गुना अधिक बारिश पिछले तीस वर्षो में 24 घंटे के भीतर जून माह में हो चुकी है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1986 से लेकर अब तक सात वर्ष ऐसे है जिसमें 24 घंटे में सौ मिमी से ज्यादा बारिश हो चुकी है। इन वर्षो में 30 जून 2015 को 171 मिमी, 29 जून 2001 को 143.9 मिमी, 25 जून 1986 को 107.8 मिमी, 19 जून 1994 को 144 मिमी, 19 जून 1997 को 143 मिमी तथा 20 जून 2001 को 129 मिमी बारिश 24 घंटे के भीतर हो चुकी है।