सानिया मिर्जा और सायना नेहवाल के हैदराबाद के खेलों का स्टार बनने से पहले मीर कासिम अली इस शहर के स्टार हुआ करते थे जिन्होंने एक दशक तक टेबल टेनिस में भारत का प्रतिनिधित्व किया और उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि एक मैच के दौरान जब वह खेल रहे थे तब खचाखच भरे स्टेडियम में गावस्कर भी अंदर नहीं घुस पाये थे।
तीन विश्व चैंपियनशिप, तीन एशियाई चैंपियनशिप और दो राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप का हिस्सा रहे 65 वर्षीय कासिम अब शहर में शांतचित जिंदगी बिता रहे हैं लेकिन उन्हें वे दिन याद हैं जब खिलाड़ी पैसा नहीं बल्कि सम्मान के लिये खेला करते थे।
कासिम ने शहर के बशीरबाग स्थित अपने निवास पर कहा, वे दिन कुछ और थे। हम कभी पैसों के लिये नहीं खेलते थे। यह केवल सम्मान के लिये होता था। उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि सुनील गावस्कर ने एक बार मुझसे कहा था कि वह मुंबई में स्टेडियम में नहीं घुस पाये थे, क्योंकि वहां मैं खेल रहा था और स्टेडियम खचाखच भरा था।
अर्जुन पुरस्कार विजेता (1969) कासिम दिखने में सुंदर थे और उन्हें एक राष्ट्रीय खेल पत्रिका ने मंसूर अली खां पटौदी से उपर सर्वाधिक रूपवान खिलाड़ी चुना था।
कासिम ने कहा, वह काफी अजीब स्थिति थी। लड़कियां अपने हाथों पर आटोग्राफ देने के लिये कहती थी। कई बार मैं अपनी पत्नी के साथ होता था और लड़कियां मेरी तरफ काफी ध्यान से देखती थी। लेकिन खेल का मैंने पूरा लुत्फ उठाया। मैंने दुनिया की सैर की और सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ खेला। मैंने इसका पूरा आनंद लिया।
सिंगापुर में 1971 में पहली राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप का उप विजेता बनना उनके करियर का अहम क्षण था। केवल वर्तमान स्टार अचंता शरत कमल ही कासिम का रिकॉर्ड तोड़ पाये हैं। उन्होंने 2004 में राष्ट्रमंडल टेबल टेनिस चैंपियनशिप जीती थी।
कासिम ने कहा, तब मीडिया का इतना व्यापक विस्तार नहीं था। केवल समाचार पत्र और रेडियो ही सूचना के माध्यम थे। लेकिन प्रिंट मीडिया ने काफी दरियादिली दिखायी और कासिम ने फिर किया कमाल, और हैदराबादी टेटे चैंपियनशिप ने दुनिया को हिलाया जैसे शीर्षक दिये थे।