पूजा के समय क्यों लगाया जाता हैं माथे पर तिलक, जाने इसका वैज्ञानिक महत्व

अध्यात्म डेस्क. सनातन धर्म में कई परम्पराएं हैं जिनका पालन सदियों से होता चला आ रहा हैं। जिनमें अपने से बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद लेना, शंख बजाना, धूप बत्ती जलाना शामिल हैं। धार्मिक मान्यता हैं कि, बिना तिलक लगाए कोई भी पूजा अथवा अनुष्ठान पूरे नहीं होते हैं। इसके साथ ही पूजा के दौरान देवी-देवताओं का भी तिलकाभिषेक किया जाता हैं। ये महज धार्मिक नजरिए से ही महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि वैज्ञानिक तौर पर भी कई फायदे हैं। दरअसल, रोजाना पूजा के दौरान तिलक लगाने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। इस परम्परा से मन और मस्तिष्क शांत रहता हैं। साथ ही इससे आपका सारा ध्यान ईश्वर की भक्ति में लीन रहता हैं। इसके अलावा तिलक लगाने से आशीर्वाद मिलता हैं। जिसके चलते सभी काम आसानी से सफल हो जाते हैं।

जानिए ललाट पर तिलक लगाने का क्या हैं महत्व?

धार्मिक शास्त्रों में यह भी बताया गया हैं कि तिलक लगाने से नाराज ग्रहों को शांत करने में और उनके निगेटिव प्रभाव को दूर करने में मदद मिलती हैं। मान्यता के अनुसार, सिर पर तिलक धारण करनें से मनुष्य के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती हैं। ऐसे में हमारी आस्था और पूजा पाठ से जुड़े इस तिलक को लगाने से नवग्रहों के दोष भी दूर होते हैं। माना जाता हैं कि किसी शुभ काम को शुरू करने से पहले तिलक लगाना चाहिए. ऐसा करने से काम सफल हो जाता हैं। साथ ही जीवन में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं। माना जाता हैं कि, पूजा-पाठ के दौरान किसी भी देवी या देवता अथवा किसी को भी तिलक लगाने के लिए हमेशा सही उंगली का इस्तेमाल करना चाहिए। चूंकि, सनातन परंपरा के अनुसार किसी भी देवता को हमेशा दाएं हाथ की अंगुली से तिलक लगाया जाना शुभ और तर्जनी अंगुली से तिलक लगाना अशुभ माना जाता हैं। मान्यता हैं कि, ऐसा करने पर हमारे दिमाग में पॉजिटिव विचार आते हैं। साथ ही किसी भी शख्स को तिलक पूर्व दिशा की ओर खड़ा करके लगाना चाहिए।