गौतम बुद्ध प्रज्ञा पुरुष थे। उन्होंने धर्म को पारंपरिक स्वरूप से मुक्त कराकर उसे ज्ञान की तलाश से जोड़ा। उन्होंने विवेक को धर्म के मूल में रखा और तमाम रुढ़ियों को खारिज किया। उन्होंने ज्ञान को सर्वोच्च महत्व दिया और उनके इन विचारों की प्रासंगिकता आज भी है।
- पुष्प की सुगंध वायु के विपरीत कभी नहीं जाती लेकिन मानव के सदगुण की महक सब ओर फैलती है।
- तीन चीजों को लम्बी अवधि तक छुपाया नहीं जा सकता, सूर्य, चन्द्रमा और सत्य।
- हजार योद्धाओं पर विजय पाना आसान है, लेकिन जो अपने ऊपर विजय पाता है वही सच्चा विजयी है।
तो क्या भगवान विष्णु के नौवें अवतार थे गौतम बुद्ध?
- हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें, अन्यथा हम अपने मन को सक्षम और शुद्ध नहीं रख पाएंगे।
- हम आपने विचारों से ही अच्छी तरह ढलते हैं, हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं। जब मन पवित्र होता है तो खुशी परछाई की तरह हमेशा हमारे साथ चलती है।
- हजारों दीपों को एक ही दिए से, बिना उसके प्रकाश को कम किए जलाया जा सकता है। खुशी बांटने से कभी कम नहीं होती।
बुद्ध ने कहा था सिर्फ विवेक की सुनो
- अप्रिय शब्द पशुओं को भी नहीं सुहाते हैं।
- अराजकता सभी जटिल बातों में निहित है। परिश्रम के साथ प्रयास करते रहो।
- आप को जो भी मिला है उसका अधिक मूल्यांकन न करें और न ही दूसरों से ईर्ष्या करें। वे लोग जो दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, उन्हें मन को शांति कभी प्राप्त नहीं होती।
- अतीत पर ध्यान केंद्रित मत करो, भविष्य का सपना भी मत देखो, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करो।
- आप चाहे कितने भी पवित्र शब्दों को पढ़ लें या बोल लें, लेकिन जब तक उन पर अमल नहीं करते उसका कोई फायदा नहीं है।इच्छा ही सब दु:खों का मूल है।
- बौद्ध धर्म से जुड़ी ये हैं वो 22 बातें जिन्हें शायद आप नहीं जानते
- जिस तरह उबलते हुए पानी में हम अपना, प्रतिबिम्ब नहीं देख सकते उसी तरह क्रोध की अवस्था में यह नहीं समझ पाते कि हमारी भलाई किस बात में है।
- चतुराई से जीने वाले लोगों को मौत से भी डरने की जरुरत नहीं है।
- वह व्यक्ति जो 50 लोगों को प्यार करता है, 50 दुखों से घिरा होता है, जो किसी से भी प्यार नहीं करता है उसे कोई संकट नहीं है।