सतना
विश्वविद्यालय अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा का विनियोग ग्रामीण विकास और ग्रामोत्थान के लिये करे
महात्मा गाँधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का पंचम दींक्षात समारोह मंगलवार को विष्वविद्यालय परिसर में भव्य एवं गरिमामय रूप से आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के महानिदेषक तथा कृषि अनुसंधान एवं षिक्षा भारत सरकार के सचिव डाँ0 एस0अय्यपन और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 नरेषचन्द्र गौतम ने दींक्षात समारोह में वर्ष 2012 एवं 2013 के उत्तीर्ण नियमित और दूरवर्ती माध्यमो के विद्यार्थियो को उपाधियां तथा मैडल प्रदान किये। कुलाधिपति और राज्यपाल रामनरेष यादव का दींक्षात समारोह संदेष का वाचन उनके प्रतिनिधि डाँ0 शैलेन्द्र किवायत ने किया।
ग्रामोदय विश्वविद्यालयके पंचम दींक्षात समारोह के लिये भेजे गये संदेष मे राज्यपाल श्री यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय को अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा का विनियोग ग्रामीण विकास और ग्रामो के उत्थान के लिये करना चाहिये। चित्रकूट ग्रामोदय विष्वविद्यालय भारत का प्रथम ग्रामीण विश्वविद्यालय है। जिसका उद्देष्य ग्रामीण भारत को षिक्षा, शोध एवं प्रसार कार्यो से प्रगति और विकास की ओर अग्रसर करना है। उन्होने कहा कि भूमण्डली करण के इस दौर में उच्च षिक्षा से संबंद्ध प्रत्ययो के प्रचलित अर्थ और आयाम बदल रहे है। प्रतिस्पर्धा के युग में विद्यार्थियो को पढाई डिग्री के लिये नही बल्कि जीवन मे सफल होने की दृष्टि से करनी चाहिये।
समारोह के मुख्य अतिथि डाँ0 एस0अय्यपन ने कहा कि चित्रकूट भारतीय संस्कृति का आधार है। कृषि और ऋषि भारतीय संस्कृति के केन्द्र बिन्दु रहे है। ग्रामोदय विश्वविद्यालय सम्पूर्ण शैक्षणिक आध्यात्मिक ग्रामीण विकास एवं कृषि से संबंधित विभिन्न षिक्षा शोध प्रसार को जन-जन तक तक पहुँचाने गाँव-गाँव मे कार्यक्रम निर्धारित कर ग्रामीण विश्वविद्यालय के उद्देष्यो को सार्थक साबित कर रहा है। उन्होने कहा कि पूरे देष मे मध्यप्रदेष अकेला राज्य है जिसने खेती को लाभदायी धंधा बनाने की दिषा मे पहल की है। इसके आष्चर्य जनक परिणाम भी सामने है। कृषि उत्पादन मे उल्लेखनीय बढोत्तरी के साथ ही राज्य ने कृषि उत्पादन के मामले अग्रणी होकर कृषि कर्मण पुरूस्कार भी प्राप्त किया है। उन्होने कहा कि खेती एवं ग्रामीण संसाधनो मे संरक्षण, सर्वधन और संस्करण (प्रसस्करण) में अवसर और विकास की प्रचुर संभावनाए है।
दींक्षात समारोह की अध्यक्षता करते हुये कुलपति प्रो0 एन0सी0गौतम ने कहा कि दींक्षात समारोह विश्वविद्यालय परिवार के लिये उत्सव का दिन है विद्यार्थी और शोधार्थी अपनी उपाधियां और स्वर्ण पदक प्राप्त कर रहे है। वह उनके सतत् और सार्थक परिश्रम का जीवंत प्रतिफल है। उन्होने आषा ब्यक्त की कि वह इस षिक्षा का उपयोग समाजहित मे करते हुये ग्रामोदय की षिक्षा से जीवन को सार्थक बनायेगें। समारोह में वर्ष 2012 एवं 2013 में उत्तीर्ण नियमित और दूरवर्ती माध्यमो के विद्यार्थियो को उपाधियां तथा मैडल दिये गये। इस अवसर पर वर्ष 2012 मे उत्तीर्ण पी0एच0डी0 पाठ्यक्रम के 37, एम0फिल0 पाठयक्रम के 61, वर्ष 2013 में
उत्तीर्ण पी0एच0डी0 पाठ्यक्रम के 58, एम0फिल0 के 15 विद्यार्थियो को उपाधियां दी गई। वर्ष 2012 एवं 2013 में उत्तीर्ण नियमित स्नातक पाठ्यक्रमो के 1053 और परास्नातक पाठ्यक्रमो के 564 विद्यार्थियो को उपाधियां दी गई। इसी प्रकार दूरवर्ती माध्यम से उत्तीर्ण स्नातक पाठ्यक्रमो के 1479 परास्नातक पाठ्यक्रम के 2560 विद्यार्थियो को उपाधियां दी गई। दींक्षात समारोह के मंच से वर्ष 2012 में स्नातक पाठ्यक्रमो में सर्वाधिक अंक पाने वाले 19 और परास्नातक पाठ्यक्रमो मे सर्वाधिक अंक पाने वाले 20 प्रवीण्यता धारी छात्रो को गोल्ड मैडल दिये गये तथा 2013 में सर्वश्रेष्ठ अंक पाने वाले 18 स्नातक और 17 परास्नातक विद्यार्थियो को गोल्ड मैडल दिये गये है। कार्यक्रम के प्रारंभ मे मुख्य अतिथि एवं कुलपति के नेतृत्व मे विष्वविद्यालय परिसर मे विद्वत शोभा यात्रा भी निकाली गई। इस मौके पर कुलसचिव आंनद काम्बले, उप कुल सचिव अकादमी डाँ0 प्रमिला सिंह, दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव भरत पाठक, विश्वविद्यालय प्रबंध मण्डल के सदस्य डाँ0 आर0बी0सोहगौरा, विष्वविद्यालय के विविध संकायो के अधिष्ठाता डाँ0 षिवराज सिंह सेंगर, प्रो0 अरूण कुमार गुप्ता, प्रो0 आर0सी0 सिंह, आई0पी0त्रिपाठी, डाँ0 वीरेन्द्र कुमार ब्यास, इंजी. के0पी0मिश्रा सहित गणमान्य नागरिक छात्र-छात्राए तथा प्राध्यापकगण उपस्थित थे।