इंदौर. मध्य प्रदेश के इंदौर में गैंगरेप पीड़िता ने आईजी ऑफिस के सामने आत्मदाह का प्रयास किया. इस दौरान मौके पर थोड़ी देर के लिए अफरा-तफरी मच गई. पुलिसवाले भी दौड़कर पहुंचे और युवती को कब्जे में लेकर खतरनाक कदम उठाने से रोका. पीड़िता ने इसी साल पांच फरवरी को आजाद नगर थाने में जीतू सोनी, उदय सिंह समेत कुल आठ लोगों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म, जबदस्ती जमीन पर कब्जा करने और प्रताड़ना का केस दर्ज करवाया था. इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. बाकी चार आरोपी अभी भी फरार हैं.
पुलिस पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप
युवती का आरोप है कि आजाद नगर पुलिस जांच के नाम पर आरोपियों को सहुलियत दे रही है. अब तक सभी आरोपियों को गिरफ्तार तक नहीं किया गया है. उल्टे कुछ आरोपियों को क्लीन चिट देने की कोशिश हो रही है. पीड़िता खुद पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर चीख-चीख कर ये सब कह रही थी. बतौर युवती पुलिस ने आराेपियों के ऊपर से संगीन धाराएं हटा दी हैं, जिससे केस कमजोर हो गया है. ये सब आरोपियों से मिलीभगत कर किया गया है.
तब की कांग्रेस सरकार के वक्त सूबे में ऑपरेशन क्लीन माफिया चलाया गया था. जिसकी शुरुआत इंदौर से हुई थी. उस वक्त आरोपी जीतू सोनी के कई कारनामों का खुलासा हुआ था. पीड़िता ने भी जीतू सोनी, अमरदीप, उदय सिंह, दिलीप भगत, सरपाल, कृष्ण कुमार और दीपक, कुल आठ लोगों के विरूद्ध शिकायत दर्ज कराई थी. युवती का आरोप था कि उसकी जमीन पर आरोपियों ने कब्जा कर लिया. और जमीन कब्जा मुक्त करने के नाम पर आरोपियों ने उसके साथ बारी-बारी से दुष्कर्म किया.
पीड़िता की शिकायत पर तत्कालीन डीआईजी रूचिवर्धन मिश्र ने मामले की जांच का आदेश दिया. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया. लेकिन जीतू सोनी और उदय सिंह की गिरफ्तारी नहीं हो पाई.
इस बीच सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद पुराने अफसरों के तबादले हो गये. और नये अधिकारियों ने इस मामले में रूचि नहीं दिखाई. इस बीच पीड़ित न्याय के लिए पुलिस की चौखट तक जाती रही. लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई, तो शुक्रवार को पीड़िता परिवार सहित आईजी कार्यालय पहुंची और आत्मदाह करने का प्रयास किया. हालांकि वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे ऐसा करने से रोक लिया. मामले की सूचना मिलते ही आज़ाद नगर थानाप्रभारी भी मौके पर पहुंचे और पीड़िता को निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया.