हर विभाग दृष्टि पत्र और जन-संकल्प के क्रियावन्यन की कार्य-योजना बनायेगा |
|
रियल लीडरशिप संबंधित विभाग के मंत्री की
|
|
भोपाल : शुक्रवार, दिसम्बर 27, 2013, 16:12 IST | |
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जन-संकल्प 2013 तथा दृष्टि पत्र 2018 प्रदेश के विकास का रोडमेप और जन-आकांक्षाओं का प्रतीक है। इसके क्रियान्वयन के लिये रियल लीडरशिप संबंधित विभाग के मंत्री के हाथ में होगी। हर विभाग इसके क्रियान्वयन के लिये सौ दिन, एक वर्ष और पाँच वर्ष की कार्य योजना तैयार करे। संबंधित विभाग के मंत्री इसे अंतिम रूप देंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहां मंत्रालय में मंत्रीगण तथा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। बैठक में मंत्रीगण, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक उपस्थित थे। सौ दिन की कार्य-योजना एक जनवरी से मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बैठक में कहा कि अपने कार्य के माध्यम से प्रदेश को समृद्ध और विकसित बनायें, जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरें, एक दिन भी व्यर्थ नहीं गँवायें। पाँच वर्ष में प्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाने का दृष्टि पत्र तैयार किया गया है। इसके क्रियान्वयन में विभागीय मंत्री सुधार कर सकते हैं। विभागीय समीक्षा बैठक में मंत्री स्वयं प्रस्तुतिकरण दें। उन्होंने कहा कि वित्तीय अनुशासन की अनदेखी नहीं की जाये। भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति रहे। किसी भी हालत में गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं होगी। पूर्ण स्वच्छ और पारदर्शी प्रशासन दें। स्वच्छ छवि वाले अधिकारियों को प्रोत्साहित करें। अधिकारी की कार्य क्षमता तथा ईमानदारी परख कर ही मैदानी पदस्थापना की जाय। विभागीय जाँच समय-सीमा में निपटायी जाये। हर काम की समय-सीमा हो। समय-सीमा में कार्य नहीं होने पर जिम्मेदारी तय की जाये। विभागीय मंत्री विशेषज्ञों से परामर्श ले सकते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि कोई भी सत्ता का नाजायज फायदा नहीं उठाये। सौ दिन की कार्य-योजना अगली एक जनवरी से लागू हो जायेगी। कार्य प्रदर्शन का आकलन इसी के आधार पर किया जायेगा। मंत्री कार्य-योजना अपने विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करें तथा इस संबंध में जनता के सुझाव भी लें। सभी विभाग प्रक्रिया का सरलीकरण करें। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाये। अच्छी मंशा से प्रदेश के विकास के लिये किये गये काम में मुख्यमंत्री आपके साथ हैं। कृषि में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ायें मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता, बीज प्रतिस्थापन की दर, दुग्ध उत्पादन बढ़ायें। सिंचाई क्षमता पाँच वर्ष में 40 लाख हेक्टेयर करना ही है। नकली खाद-बीज के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करें। बताया गया कि दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश अगले दो-तीन साल में गुजरात तथा पंजाब से आगे होकर देश का नम्बर एक राज्य होगा। शिक्षा में अधोसंरचना विकास की कार्य-योजना श्री चौहान ने निर्देश दिये कि स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करें। स्कूली शिक्षा में अधोसंरचना विकास की कार्य-योजना बनायें। उच्च शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में महाविद्यालयों में प्राध्यापकों का युक्तियुक्तकरण करें। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थानों को मध्यप्रदेश में लाया जाय। अस्पतालों की साफ-सफाई व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन करें, चिकित्सकों की उपस्थिति सुनिश्चित करें, मातृ-शिशु मृत्यु दर और कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिये ठोस कार्य-योजना बनायें। पोषण आहार की उपलब्धता ग्रामीण स्तर तक सुनिश्चित करें। महिला सुरक्षा के प्रयासों पर विशेष ध्यान दें। मंत्रीगण भ्रमण के दौरान औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का निरीक्षण जरूर करें। अगले पाँच वर्षों में दस लाख युवाओं को स्व-रोजगार में लगाने का संकल्प रस्म अदायगी न रह जाय। निर्देश दिये गये कि हर बसाहट में एक पेयजल स्रोत तथा गाँव में नल के माध्यम से घरों में जलप्रदाय हो, इस लक्ष्य से कार्य करें। ग्रामीण परिवहन की नई व्यवस्था बनाने पर विचार करें। औद्योगिक निवेश के लिये सिंगल विन्डो को रियल सिंगल विन्डो बनायें। बैठक में कृषि, सिंचाई विविधिकरण, शिक्षा, स्वास्थ चिकित्सा सेवा, महिला सशक्तिकरण, कौशल विकास, समावेशी विकास, जल आपूर्ति, सड़क, विद्युत आपूर्ति, नवकरणीय ऊर्जा योजना, शहरी विकास और लोक परिवहन, पर्यावरण प्रबंधन, ग्रामीण विकास एवं स्वच्छता, रोजगार सृजन एवं निवेश प्रोत्साहन, खेल, पर्यटन, विरासत एवं संस्कृति और सुशासन विषय पर प्रस्तुतिकरण किया गया। बताया गया कि कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिये प्रदेश में पड़त भूमि 11 लाख हेक्टेयर से कम कर 5 लाख हेक्टेयर की जायेगी। दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिये चारागाह विकास का कार्यक्रम बड़े पैमाने पर लिया जायेगा। प्रत्येक पाँच किलोमीटर पर हाईस्कूल की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। उच्च शिक्षा में ग्रास एनरोलमेंट रेशियो बढ़ाया जायेगा। मातृ एवं शिशु कल्याण की मॉनीटरिंग के लिये ई-नेट योजना शुरू की जायेगी। स्वास्थ विभाग द्वारा 4 हजार चिकित्सालय भवन के निर्माण की योजना बनायी गई है। महिलाओं के लिये सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम शुरू किया जायेगा। रोजगार कार्यालयों को मानव संसाधन केन्द्रों के रूप में विकसित किया जायेगा। अगले पाँच वर्ष में ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक परिवार के लिये नल-जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। सभी मजरे-टोले सड़कों से जोड़े जायेंगे। गुणवत्तापूर्ण ऊर्जा की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये नये संयंत्रों की स्थापना की जायेगी। विद्युत उत्पादन पाँच वर्ष में 21 हजार मेगावॉट से अधिक हो जायेगा। मध्यप्रदेश की विद्युत वितरण प्रणाली देश में सबसे बेहतर है। अगले तीन वर्ष में नवकरणीय ऊर्जा का उत्पादन 4 हजार मेगावॉट तक लाया जायेगा। बड़े शहरों में यातायात और परिवहन की बेहतर व्यवस्था के लिये ट्रांसपोर्ट यूनिफाईड अथॉरिटी का गठन होगा। नागरिक सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के 377 शहर का सिटी डेव्हलपमेंट प्लान बनाया जायेगा। प्रत्येक गाँव को सड़कों से जोड़ने की योजना बनायी जायेगी। औद्योगिक क्षेत्रों में विश्व-स्तरीय औद्योगिक संरचना निर्माण कार्य को तेज किया जायेगा। पर्यटन के स्थापित केन्द्रों पर विश्व-स्तरीय सुविधाएँ उपलब्ध करवाने का मास्टर प्लान बनाया जायेगा। इन्दौर और भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय विमानन सुविधाएँ विकसित की जायेगी। पारदर्शी और उत्तरदायी प्रशासन के लिये शासकीय प्रक्रिया की पुनर्संरचना की जायेगी। |