1 किलो आम की कीमत 2.5 लाख रुपये, नाम हैं ‘मियाजकी आम’ क्या आप जानते हैं इसके बारे में?

फटाफट न्यूज डेस्क: आलू-प्याज के भाव बिकने वाले काजू ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे महंगे मियाजाकी आम के लिए भी झारखंड का जामताड़ा जिला जाना जाएगा। नाला विधानसभा के अरिंदम चक्रवर्ती ने अपने बगीचे में विदेशी प्रजाति के कई आम हैं। अरिंदम चक्रवर्ती ने अपने बगीचे में जापानी आम मियाजाकी, थाइलैंड का वेरीमैंगो एवं किंग ऑफ चाकापाता, अमेरिकी प्रजाति का अमियाका रेड किंग, इंडोनेशिया का हारुन मनीष सहित आमों की कई प्रजातियों के पेड़ लगाए हैं। इनमें से जापानी मियाजाकी आमों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत 2.5 लाख रुपये से 2.70 लाख रुपये प्रति किलो तक है। इस बार मियाजाकी आम की पैदावार भी अच्छी हुई है जिसे देख किसान अरिंदम का चेहरा खिला हुआ है।

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Pic Credit By – संस्कृति सोमानी

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अरिंदम झारखंड के पहले किसान हैं जिन्होंने विविध प्रजाति के आमों की खेती एक साथ प्रारंभ की है। अरिंदम की कामयाबी की चर्चा जामताड़ा के बाहर अन्य जिलों में भी होने लगी है। विधानसभा अध्यक्ष रविंद्रनाथ महतो ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर इस किसान की खेती का जिक्र करते हुए पोस्ट अपलोड किया है। अरिंदम ने बताया कि उन्होंने 5 वर्ष पूर्व विभिन्न देशों से पार्सल के माध्यम से आम का पौधा मंगा कर लगाना प्रारंभ किया था। एक पौधा लगाने में उन्हें 5000 से 7000 रुपये तक की लागत आई थी। अरिंदम कहते हैं कि जब उन्होंने यह नया प्रयोग किया तो लोग उनको ताना मारते थे। लोग हंसी उड़ाते हुए कहते थे कि जामताड़ा में यह प्रयोग कभी सफल नहीं हो सकता। अरिंदम कहते हैं कि जिन लोगों ने शुरुआत में मजाक उड़ाया, आज वही लोग वाहवाही करते हैं। गौरतलब है कि पिछले वर्ष अरिंदम अपने बगीचे में सेब की खेती कर चर्चा में आए थे।

देशी और विदेशी मिलाकर कुल 45 प्रजातियां हैं

किसान अरिंदम ने बताया कि उनके बगीचे में देशी और विदेशी मिलाकर आम की कुल 45 प्रजातियां हैं। उन्होंने कहा कि अभी तो यह प्रैक्टिस स्टेज में है। मैं परख रहा हूं कि इस मिट्टी में आमों का स्वाद कैसा है, उनका रंग कैसा आ रहा है। आमों का साइज कितना है। अरिंदम को उम्मीद है कि अगले साल से उत्पादन और बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि जो भी नए किसान विदेशी प्रजाति की इन आमों का उत्पादन करना चाहते हैं वे उनके पास परामर्श के लिए आ सकते हैं। सिंचाई, मिट्टी और दवाई के इस्तेमाल की जानकारी ले सकते हैं। अरिंदम ने कहा कि यदि किसी को पौधे चाहिए तो वो भी मुहैया करवा सकते हैं। तमाम प्रशंसा के बाद भी अरिंदम कृषि विभाग और पदाधिकारियों से नाराज हैं।

अरिंदम चक्रवर्ती ने बताया कि भले ही उनकी आम की खेती की चर्चा झारखंड सहित अन्य राज्यों में हो रही है। लेकिन जामताड़ा के कृषि विभाग के द्वारा उन्हें किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि जिला कृषि पदाधिकारी से कई बार उन्होंने मिलकर बगीचा का निरीक्षण करने, तथा सरकारी सहयोग देने की बात कही लेकिन एक बार भी कृषि पदाधिकारी विजिट करने नहीं आए। जिसका उन्हें कृषि विभाग से कोई सहयोग नहीं मिल पा रहा है।