ये छह बातें…पुरुषों से सीख सकती हैं महिलाएं

इसमें कोई शक नहीं है कि पुरुष और महिला एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह होते हैं। एक के बिना दूसरे के अस्तित्व की कल्पना तक नहीं कीजा सकती। सवाल ये है कि इन दोनों में किसका महत्व ज्यादा है। दरअसल, यह सवाल ही व्यर्थ का है। कुछ लोग मानते हैं कि पुरुषों का स्थान ऊंचा है, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि नारियों का स्थान सर्वोच्च है। देखा जाए तो सभ्यता के उदयकाल में समाज में स्त्रियों का स्थान प्रमुख था। वो घर की प्रधान होती थीं। उनकी काफी प्रतिष्ठा थी, पर धीरे-धीरे पूरी दुनिया में पितृसत्ता स्थापित होती चली गई और पुरुषों का वर्चस्व बढ़ गया।

आज नारी मुक्ति आंदोलन पूरी दुनिया में फैल चुका है। स्त्रियों की आजादी का मुद्दा प्रमुखता से छाया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि परिवार और समाज में बड़े पैमाने पर स्त्रियों का उत्पीड़न हो रहा है, बावजूद इसके सभी पुरुषों को इसके लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।