वाराणसी. पर्वतीय इलाकों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी इन दिनों शीतलहर का प्रकोप है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एक ईंट भट्ठे पर ठंड से बचने के लिए वहां काम करने वाले ने अलाव जलाया था. यही अलाव परिवार के मासूमों के लिए मौत का कारण बन गया. दरअसल, अलाव के कारण झोपड़ी में आग लग गई. इस हादसे में तीन बच्चों की झुलसकर मौत हो गई, जबकि गंभीर रूप से झुलसी इन बच्चों की मां का अस्पताल में इलाज चल रहा है. वहीं, पिता भी इस घटना में मामूली रूप से घायल हुआ है. पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है.
अगलगी की घटना में मरने वाले मासूमों की पहचान पूजा (13), चंद्रिका (7) और डमरू (4) के तौर पर की गई है. चंदौली जनपद के शहर कोतवाली के दिग्घी गांव निवासी बबलू वनवासी पत्नी भागीरथी व तीन बच्चों संग भटठा पर ईंट की पथाई का काम करता था. काम समाप्त होने पर बुधवार की रात में खाना खाने के बाद बबलू परिवार के साथ भट्टा परिसर स्थित अपने झोपड़ी में रोज की तरह एक किनारे जली अंगीठी रखकर नीचे पुआल पर पड़े बिस्तर पर सो गया. रात करीब एक बजे अंगीठी की आग बिस्तर से होते हुए झोपड़ी में लग गई। आग की लपटें देख बबलू झोपड़ी से बाहर निकलकर चीखने-चिल्लाने लगा। बगल की झोपड़ी में सोए बबलू का साला नंदू व अन्य लोग मौके पर पहुंचे और हैंडपंप से पानी लेकर आग को बुझाने लगे.
इस दौरान पत्नी भागीरथी व चार वर्षीय पुत्र डमरू को वह झुलसे हाल में बाहर निकालने में कामयाब रहा, लेकिन पूजा व चंद्रिका दम तोड़ चुके थे. जानकारी मिलते ही भटठा मालिक झुलसे तीनों लोगों को दिलदारनगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. हालत गंभीर देख चिकित्सकों ने उन्हें बीएचयू वाराणसी के लिए रेफर कर दिया, जहां उपचार के दौरान गुरुवार की सुबह डमरू ने भी दम तोड़ दिया. दोपहर बाद किसी से घटना की जानकारी पर क्षेत्राधिकारी हितेंद्र कृष्ण, तहसीलदार आलोक कुमार व कोतवाल राजीव कुमार ङ्क्षसह मौके पर पहुंचे. उन्होंने लोगों से घटना की जानकारी ली। उधर, इस घटना के बाद अधिकतर मजदूर घर निकल लिए.