
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यात्रियों को राहत देते हुए साफ कर दिया है कि अधूरे, गड्ढों से भरे और लंबे ट्रैफिक जाम वाले हाईवे पर किसी भी तरह का टोल टैक्स वसूला नहीं जा सकता। अदालत ने कहा कि नागरिकों को ऐसी खराब सड़कों के लिए अतिरिक्त शुल्क देने पर मजबूर करना न्यायसंगत नहीं है।
यह फैसला केरल हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखते हुए आया है, जिसमें त्रिशूर जिले के पलियेक्कारा प्लाजा पर टोल वसूली पर रोक लगाई गई थी। मुख्य न्यायाधीश भूषण आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और रियायतग्राही कंपनियों की अपीलें खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा कि वित्तीय नुकसान की तुलना में जनता का हित सर्वोपरि है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दो टूक कहा कि नागरिकों ने पहले ही टैक्स चुका दिया है, इसलिए उन्हें गड्ढों और नालियों से भरी सड़कों से गुजरने के लिए दोबारा भुगतान नहीं करना चाहिए। अदालत ने एनएचएआई की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि ट्रैफिक जाम केवल “ब्लैक स्पॉट्स” तक सीमित है। न्यायाधीशों ने माना कि 65 किलोमीटर के मार्ग में सिर्फ पांच किलोमीटर की रुकावट भी पूरे रास्ते को घंटों तक ठप कर सकती है।
पीठ ने उदाहरण देते हुए कहा कि एडापल्ली-मन्नुथी खंड हाल ही में 12 घंटे तक बाधित रहा। अदालत ने सवाल उठाया “अगर किसी एक सड़क को पार करने में 12 घंटे लग जाते हैं, तो कोई व्यक्ति ₹150 टोल टैक्स क्यों देगा?”
एनएचएआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और रियायतग्राही कंपनियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि टोल से मिलने वाला राजस्व सड़क रखरखाव के लिए जरूरी है और टोल वसूली रुकने से प्रतिदिन करीब ₹49 लाख का नुकसान होगा। लेकिन अदालत ने साफ किया कि जनता की सुविधा और अधिकार किसी भी वित्तीय तर्क से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।