जांजगीर-चांपा (संजय यादव)…छत्तीसगढ़ में बीजेपी को सबसे ज्यादा मेहनत जांजगीर चांपा लोकसभा में करना पड़ा। जहां देश के प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री, प्रदेश के सीएम डिप्टी, सीएम, विधायक, सांसद से लेकर कैबिनेट मंत्री का सभा हुआ। लगातार डिप्टी सीएम विजय शर्मा जांजगीर चांपा लोकसभा में डेरा जमाए हुए थे। वोटरों को रिझाने,सामाजिक संगठनों को साधने की कोशिश होते रही। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी श्रीमती कमलेश जांगड़े भी मतदाता तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लगातार जनसंपर्क कर मतदाताओं से मिलते रही। भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा चुनौती जांजगीर चांपा लोकसभा में मिली। कांग्रेस के पूर्व मंत्री शिव डहरिया से उनका सीधा टक्कर था। मतदान तक मतदाता भी खामोश रहे। वही माहौल किसी एक प्रत्याशी की ओर झुकते नहीं दिखा। दोनों प्रत्याशियों का मुकाबला मतदान की तारीख तक टाइट रहा। भले ही दोनों प्रत्याशी अपने-अपने जीत के दावे करते रहे।
प्रदेश में एकमात्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जांजगीर चांपा लोकसभा की सीट में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का कड़ी नजर रही। जांजगीर चांपा लोकसभा का एक-एक रिपोर्टिंग बड़े नेता तक पहुंचती रही.उसके बाद समीकरण बनते रहे. वहीं जिस विधानसभा में बीजेपी कमजोर दिखाई दी वहां हर स्तर में रणनीति तैयार कर अपने पक्ष में माहौल बनाया गया। भारतीय जनता पार्टी सामाजिक संगठनों को साधने में सफल रही,तो वही राम मंदिर का मुद्दा मोदी लहर भी हावी रहा। लेकिन वर्तमान सांसद की निष्क्रियता को कांग्रेस भुनाने में सफल साबित होते दिखा । वही अपने घोषणा पत्र को लेकर कांग्रेस भी मुखर रहा। दोनों पार्टी अपने-अपने बड़े नेताओं के चेहरे को लेकर चुनाव लडे। चुनाव के दौरान दोनों प्रत्याशी के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगते रहे। कांग्रेस बीजेपी के वर्तमान सांसद के निष्क्रियता को लेकर जनता को बताती रही, तो भारतीय जनता पार्टी महतारी वंदन योजना एवं मोदी की गारंटी को लेकर मतदाता तक पहुंचती रही। दूसरी ओर कांग्रेस भी अपने घोषणा पत्र को लेकर जनता के द्वार तक पहुंची। अब देखना होगा दोनों पार्टी के घोषणा में जनता किसकी घोषणा पत्र में मुहर लगती है। हालांकि जांजगीर चांपा लोकसभा में स्थानीय मुद्दे गायब रहे। मोदी लहर के साथ राम मंदिर का मुद्दा हावी रहा। हालांकि दोनों प्रत्याशियों के स्टार प्रचारकों का दौरा इस लोकसभा में रहा। कांग्रेस से भी चुनाव के पूर्व राहुल गांधी का भारत जोड़ो के माध्यम से दौरा रहा तो चुनाव के समय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का सभा हुआ।
दोनों पार्टी ने प्रचार प्रसार में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन 7 मई मतदान के बाद जो वोट प्रतिशत के आंकड़े दिखाई दे रहे हैं उससे बीजेपी की चिंता थोड़ी बढ़ी हुई हैं । क्योंकि जिस विधानसभा में देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़ा चेहरा जिसके नाम पर पूरे देश में चुनाव लड़ा गया नरेंद्र मोदी का आम सभा हुआ उस विधानसभा के वोट के परसेंटेज सबसे कम रहे, जो बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। 7 मई को देर रात तक आए आंकड़ा के अनुसार सक्ति विधानसभा में सबसे कम 56.27 प्रतिशत मतदान हुआ, तो सबसे ज्यादा 68.45 प्रतिशत मतदान जांजगीर-चांपा विधानसभा में हुआ। लोकसभा में आठ विधानसभा है, 8 विधानसभा की तुलना में सक्ति विधानसभा का वोट प्रतिशत सबसे कम रहा। हालांकि मतदान के बाद वोट के प्रतिशत से सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि किसके पक्ष में वोट पड़े हैं। क्योंकि चुनाव के नतीजे हमेशा चौकाने वाले आते रहे हैं इसलिए अभी से यह नहीं कह सकते कि किसी एक पार्टी की जीत तय है।
सक्ति विधानसभा भाजपा प्रत्याशी श्रीमती कमलेश जांगड़े का गृह जिला भी है इसीलिए भारतीय जनता पार्टी को इस विधानसभा से ज्यादा अपेक्षा थी । क्योंकि जिस विधानसभा से प्रत्याशी आते हैं अपेक्षा के अनुरूप उस विधानसभा के मतदाता का रुझान भी प्रत्याशी के पक्ष में रहता है। इसलिए वहां की वोट प्रतिशत प्रत्याशी के पक्ष में माना जाता है, लेकिन सक्ति विधानसभा में इसका असर देखने को नहीं मिला. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी कमलेश जांगड़े के पक्ष में वोट देने की अपील देश के प्रधानमंत्री व भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी ने जेठा में जनसभा किया था. बाउजुद वहां के मतदाताओं पर इसका असर नहीं हुआ. हालांकि मतदान के बाद दोनों प्रत्याशी अपने-अपने जीत के दावे कर रहे लेकिन 4 जून तक परिणाम को लेकर इंतजार करना होगा । 4 जून के बाद साफ हो जाएगा की जीत किसकी होगी।
SC वोटरो पर टिकी नजर…
राजनीति जानकारो की माने तो जांजगीर चांपा लोकसभा में सबसे ज्यादा वोटर एससी वर्ग के हैं जो निर्णायक भूमिका में हैं। बीजेपी और कांग्रेस पार्टी की भी नजर इन्ही पर टिकी हुई है। इससे यही अनुमान लगाया जा रहा है कि जो पार्टी एससी वोटरों को साधने में सफल हो गया उस पार्टी की जीत निश्चित है। क्योंकि इस बार जांजगीर चांपा लोकसभा में बीएसपी का खास असर दिखाई नहीं दिया। इसलिए चर्चा है कि बहुजन समाज पार्टी के वोटर निर्णायक भूमिका में होंगे क्योंकि अनुसूचित जाति वर्ग के वोटर जिसके पक्ष में वोट ज्यादा करेंगे जीत उन्हीं की होगी।
जिला प्रशासन का जागरूकता अभियान रहा फेल…
इस बार जिला प्रशासन भी अपने मतदान जागरूकता में असफल रहे. जांजगीर चांपा लोकसभा में 2019 की अपेक्षा इस बार वोटिंग की प्रतिशत कम रही। जिला प्रशासन द्वारा लगातार स्विप कार्यक्रम के जरिए लोगों को जागरूक करने के लिए कई अलग-अलग थीम के अनुसार अभियान चलाये गए। लेकिन वोट की प्रतिशत कम रही इससे जिला प्रशासन के जागरूकता कार्यक्रम को लेकर बड़ा सवाल खड़े होता है। दूसरी ओर लगातार पलायन कर रहे मजदूरों को वापस लाने का अभियान भी चलाया गया जिससे वोट प्रतिशत की वृद्धि हो लेकिन ऐसा होते नहीं दिखा उल्टा प्रतिशत इस बार कम हुआ। स्विप कार्यक्रम को लेकर लाखों खर्च किए गए लेकिन नतीजा शून्य रहा।
इसे भी पढ़िए- वोटिंग के बाद EVM और कर्मचारियों को लेकर लौट रही थी बस, अचानक लगी भयानक आग