फटाफट डेस्क. गुजरात में पुलिसकर्मी ही पुलिस की जासूसी कर रहे थे। स्टेट मॉनिटरिंग सेल के अधिकारियों की जासूसी करने के आरोप में दो पुलिस कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है। आरोप है कि छापा मारने गए सिनियर पुलिस अधिकारियों की लोकेशन दोनों कांस्टेबल रुपये लेकर बूटलेगर यानी शराब माफिया को दे देते थे। फिलहाल, मामले की जांच गृह विभाग कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ समय से लगातार स्टेट मॉनिटरिंग सेल अवैध शराब माफिया पर रेड करने पहुंचती थी। मगर, हर बार वहां से शराब माफिया गायब हो जाता था। इसके बाद स्टेट मॉनिटरिंग सेल को शक हुआ कि कुछ गड़बड़ जरूर हो रही है। इसके बाद जांच शुरु कर दी गई।
स्टेट मॉनिटरिंग सेल के एसपी निर्लिप्त राय और भरुच की एसपी लीना पाटील पूरे मामले की जांच करने लगीं। इस दौरान जांच में पाया गया कि भरूच जिला तहसील के कांस्टेबल अशोक और मयूर की भूमिका संदिग्ध मिली। दोनों स्टेट मॉनिटरिंग सेल के पुलिस इंस्पेक्टर और आईपीएस अधिकारियों के लोकेशन ट्रैक कर रहे थे।
15 से ज्यादा अधिकारियों की 600 बार ट्रैक की लोकेशन
जांच में पता चला कि दोनों कांस्टेबल मोबाइल कंपनी से पिछले 3 महीनों में अलग-अलग डिपार्टमेंट के अधिकारियों और आईपीएस अधिकारियों की लोकेशन ट्रैक करवा रहे थे। इसकी जानकारी बाद में शराब माफिया तक पहुंचाई जा रही थी। पता चला कि तीन महीनों में 15 से ज्यादा अधिकारियों का 600 बार लोकेशन ट्रैक की गई थी।
पुलिस को अधिकारियों को इस मामले में पक्का यकीन तब हुआ, जब स्टेट मॉनिटरिंग सेल की पुलिस टीम बूटलेगर की टीम पर रेड करने के लिए देवगढ़ बारिया पहुंची। वहां पहले से ही शराब माफिया की टीम पुलिस का मुकाबला करने के लिए तैयार थी। पुलिस के पहुंचते ही बूटलेगर की टीम ने फायरिंग शुरू कर दी।
गृह विभाग कर रही है जांच
फिलहाल, इस मामले की जांच गृह विभाग ने शुरु कर दी है। पता किया जा रही है कि इनके साथ मोबाइल कंपनी का कोई शख्स शामिल हैं या नहीं। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि कांस्टेबल के अलावा इस मामले में कोई सिनियर अधिकारी तो कहीं इस पूरे खेल में शामिल नहीं था। अगर ऐसा कोई सबूत मिलता है, तो गृह विभाग उन लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करेगा।