पटना। सरकार बिहार को करप्शन मुक्त बनाने का लाख दावा कर ले, लेकिन उनके अधिकारी ही उनकी उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं। यकीन न हो तो मधेपुरा जिले के मुरलीगंज बीईओ साहब सूर्य प्रसाद यादव के वायरल ऑडियो के बारे में जान लीजिए। बीईओ साहब के उपर पारदर्शी तरीके से शिक्षक नियोजन करने का जिम्मा है, लेकिन ये नियोजन के नाम पर बेरोजगार अभ्यर्थी से सौदा कर रहे हैं और उसके एवज में 8 लाख घूस मांग रहे हैं। हालांकि फ़टाफ़ट न्यूज इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन इनके वरीय अधिकारी यानी जिले के डीईओ ने मामला संज्ञान में आते ही इन्हें शो कॉज नोटिस दे दिया है और पूरे मामले को गम्भीर बताते हुए जवाब मांगा है।
ऑडियो में पहले एक शख्स गुड्डू नामक अभ्यर्थी को फोन करता है और फिर बीईओ मुरलीगंज से बात करवाता है। बीईओ ने जो बातचीत की उसमें वे न सिर्फ नियोजन के लिए अभ्यर्थी से 8 लाख रुपये रिश्वत देने की मांग की बल्कि कई ऐसे काले कारनामों का चिट्ठा भी खोल दिया जिसमें उसने बीईओ रहते अपने सभी सगे संबंधियों को भी गलत तरीके से शिक्षक बनाने का खुलासा कर दिया।
वहीं, बीईओ साहब इतने पर ही नहीं रुके बल्कि दावे के साथ कहा कि मैं खुद भी लाखों रुपये खर्च कर हमेशा मनचाहा पोस्टिंग करवाता हूं और शिक्षा विभाग से लेकर सीएम हाउस तक मैनेज रहता है। हालांकि अभ्यर्थी इतना भारी-भरकम रकम सुनने के बाद गिड़गिड़ाने भी लगा, लेकिन बीईओ साहब रकम में छूट नहीं दिए और भरोसा दिया कि पैसा एक बार ही लगेगा। आगे तो शिक्षक बनने पर मलाई काटेंगे ही।
बता दें कि कि राज्य में छठे चरण की शिक्षक बहाली प्रक्रिया चल रही है जिसमें 94 हजार सीटों पर दो चरण की काउंसिलिंग हुई है। अभ्यर्थियों को अब नियुक्ति पत्र मिलने वाला है। ऐसे में बीईओ सौदा करने में लगे हैं। सवाल ये उठता है कि बेरोजगारी का दंश झेल चुके अभ्यर्थी क्या पैसे नहीं देंगे तो नौकरी नहीं मिलेगी? क्या बिना पैसे दिए शिक्षक नहीं बन पाएंगे अभ्यर्थी?