देहरादून। चारधाम यात्रा के लिए पहुंचे यात्रियों की बिगड़ती सेहत को लेकर स्वास्थ्य विभाग और सरकार दोनों की चिंताएं बढ़ी हैं। इस यात्रा के मार्ग में अब तक 60 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। उत्तराखंड की स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. शैलजा भट्ट की मानें तो 66 प्रतिशत मौतें मधुमेह और उच्च रक्तचाप के कारण हुई हैं। इसी को लेकर चिकित्सकीय रूप से अयोग्य तीर्थयात्रियों को यात्रा न करने की सलाह दी जा रही है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में कोरोना महामारी के चलते पिछले दो साल से चारधाम यात्रा नहीं हो रही थी। इस बार चारधाम यात्रा शुरू हुई है तो श्रद्धालुओं की भीड़ बड़ी संख्या में यात्रा करने निकली है। केदारनाथ और बद्रनाथ में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ पहुंची है कि पिछले सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं। इसी यात्रा के दौरान कई श्रद्धालुओं को जान भी गंवानी पड़ी है। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 60 श्रद्धालुओं की मौत चारधाम यात्रा के दौरान हो गई है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. शैलजा भट्ट ने कहा है कि चार धाम यात्रा मार्ग पर अब तक 60 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। इनमें 66 प्रतिशत मौतें शुगर और ब्लड प्रेशर के कारण हुईं हुई हैं। इन मामलों को देखते हुए चिकित्सकीय रूप से अयोग्य तीर्थयात्रियों को यात्रा न करने की सलाह दी जा रही है। डॉ. शैलजा भट्ट ने कहा कि जो लोग स्वस्थ नहीं हैं उनको यात्रा न करने की सलाह दे रहे हैं। हमने 144 लोगों को यात्रा न करने की सलाह दी है और 1690 लोगों की अंडरटेकिंग ली है।
बताया गया है कि चारधाम यात्रा में पहुंचे लोगों में केदारनाथ में 28, बद्रीनाथ में 12, यमुनोत्री में 16 और गंगोत्री में चार लोगों की मौत होने की जानकारी है। इनमें ज्यादातर की मौत का करण मधुमेह और उच्च रक्तचाप बताया जा रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि पहाड़ों पर ज्यादा ठंड और ऊंचाई होने की वजह से कई लोगों को सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इससे उनकी तबियत बिगड़ जाती है।