नई दिल्ली। मिजोरम के बाद अब अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने त्रिपुरा में भी एंट्री कर ली है। बीमारी को फैलने से रोकने के लिए त्रिपुरा सरकार ने बड़े पैमाने पर सुअरों को मारने का आदेश दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक त्रिपुरा के सेपाहिजला जिले में एनिमल रिसोर्सेज डेवलपमेंट डिपार्टमेंट की ओर से एनिमल ब्रीडिंग फार्म चलाया जाता है। इस फार्म में सुअरों की जांच के दौरान उनमें कुछ में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के लक्षण पाए गए।
इसकी सूचना मिलने के बाद राजधानी अगरतला से वेटरनिरी डॉक्टरों की एक्सपर्ट टीम 7 अप्रैल को जांच के लिए फार्म में भेजी गई, जिसने 13 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 13 सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण पाया गया है।
आशंका जताई जा रही है कि यह बीमारी फार्म में रहने वाले दूसरे जानवरों खासकर सुअरों में भी फैल चुकी है। हालांकि उनमें इस बीमारी के लक्षण अभी सामने नहीं आए हैं, जिसके चलते रिपोर्ट में बाकी जानवरों में बीमारी फैलने की पुष्टि नहीं हो पा रही है।
हालात से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर सुअरों को मारने का फैसला लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस काम के लिए सरकार ने 2 टास्क फोर्स का गठन किया है. हरेक टास्क फोर्स में 10-10 लोगों को रखा गया है. इन टीमों की अगुवाई वेटरनिरी अफसर करेंगे।
शुरुआत में संक्रमित पाए गए 13 सुअरों को मारा जाएगा। उसके बाद बाकी सुअरों की जांच के बाद उन्हें भी मार दिया जाएगा। मारने के बाद उन्हें दफनाने के लिए 8 गुणा 8 फीट का गड्ढा खोदा जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक बीमारी फैलने से रोकने के लिए फार्म के अंदर रहने वाले सुअरों के अलावा उसके किलोमीटर के रेडियस में रहने वाले बाकी सुअरों को भी मारा जाएगा। जिससे यह बीमारी इसी फार्म तक रोकी जा सके और पूरे राज्य में न फैल सके। सूत्रों के मुताबिक सुअरों का मारने की अनुमति के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा जा रहा है। वहां से मंजूरी आने के बाद इस काम को अंजाम दिया जाएगा।
फार्म में काम करने वाले लोगों के मुताबिक फार्म में 265 वयस्क सुअर और 185 उनके बच्चे हैं। पिछले दिनों उनमें से 63 सुअर अचानक मर गए। उनकी अचानक हुई मौत से फार्म में काम करने वालों के कान खड़े हो गए। जिसके बाद हुई जांच में पाया गया कि मरने वाले सभी सुअर अफ्रीकन स्वाइन फीवर से संक्रमित हो गए थे।
यह एक जानलेवा और एक-दूसरे को फैलने वाली बीमारी है। इसके संपर्क में आने के बाद जानवर का बचना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसलिए सरकार इसे फैलने से पहले ही खत्म कर देना चाहती है।