Interim Budget 2024: बस कुछ घंटे का इंतजार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अंतरिम बजट 2024 पेश करने वाली हैं। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट होगा। हर बजट की तरह इस बार भी सैलरीड क्लॉस और किसान वर्ग को लेकर सबसे ज्यादा उम्मीद की जा रही है। चुनावी साल होने के कारण जनता की भी उम्मीदें बढ़ गई हैं। इससे पहले 2019 में एनडीए सरकार ने किसान और नौकरीपेशा वर्ग दोनों को ही राहत दी थी। करोड़ों नौकरीपेशा को उम्मीद है कि वित्त मंत्री जी कुछ ऐलान कर दें तो उन्हें सबसे बड़ी राहत मिल जाएगी। आइए जानते हैं नौकरीपेशा वर्ग की उम्मीदों के बारे में-
न्यू टैक्स रिजीम में ज्यादा छूट मिले
फाइनेंस मिनिस्टर ने साल 2023-24 के बजट में न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स रिबेट बढ़ाई थी। इसके तहत टैक्स छूट की सीमा को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया गया था। न्यू रिजीम के अनुसार 7 लाख तक की आमदनी टैक्स फ्री है, लेकिन नौकरीपेशा को उम्मीद है कि सरकार की तरफ से इसमें फिर से इजाफा किया जाए। उनका कहना है कि ओल्ड टैक्स रिजीम की तरह इसमें किसी टैक्स सेविंग का प्रावधान नहीं है। ऐसे में 7 लाख की लिमिट को बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक किया जाना चाहिए।
ओल्ड टैक्स रिजीम का दायरा बढ़े
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत आखिरी बदलाव 2019 में किया गया था। इससे पहले ढाई लाख रुपये तक की आमदनी पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगता था। लेकिन 2019 के बजट में सरकार ने 5 लाख रुपये तक की आमदनी पर लगने वाले टैक्स से छूट दी थी। यदि किसी की टैक्सेबल इनकम 5 लाख से ज्यादा है तो ही उसे इनकम टैक्स देना होता है। ओल्ड रिजीम के तहत आयकर की अलग-अलग धाराओं के तहत टैक्स छूट मिलती है। नौकरीपेशा की तरफ से ओल्ड टैक्स रिजीम का दायरा भी बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है।
टैक्स स्लैब में बदलाव
काफी नौकरीपेशा को यह भी उम्मीद है कि सरकार की तरफ से इनकम टैक्स स्लैब की दरों को रिवाइज किया जा सकता है। लोगों की तरफ से मिडिल इनकम क्लॉस को ध्यान में रखते हुए टैक्स की दर में कमी करने की मांग की जा रही है। न्यू टैक्स रिजीम में लगाई गई टैक्स की अधिकतम दर 25% है। ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत अधिकतम दर 37% है। मांग की जा रही है कि न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब में मिलने वाली राहत ओल्ड टैक्स रिजीम के लिए भी लागू हो।
मेट्रो सिटी की लिस्ट में और शहर जुड़े
एचआरए छूट की गणना के लिए मेट्रो सिटी की लिस्ट में ज्यादा टियर-2 शहरों को शामिल किये जाने की भी मांग है। एचआरए छूट के लिए मौजूदा समय में मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई को ही मेट्रो सिटी माना जाता है। बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, गुड़गांव, अहमदाबाद समेत अन्य शहरों में रहने वालों की मांग है कि इन शहरों को भी एचआरए रिबेट के मकसद से मेट्रो सिटी की लिस्ट में जोड़ा जाए।
डिडक्शन लिमिट बढ़ना
सेक्शन 80D के तहत मिलने वाले हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के कवर में बदलाव की मांग की जा रही है। लोगों का तर्क है कि इंश्योरेंस प्रीमियम के महंगे होने से इसकी लिमिट बढ़ाने की जरूरत है। टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए 80C की लिमिट भी बढ़ाने की मांग की जा रही है. 80सी के तहत आखिरी बार 2014-15 में बदलाव किया गया था। अभी इसकी लिमिट 1.5 लाख रुपये है, इसे बढ़ाकर दो लाख रुपये करने की मांग है। स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी 50000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये तक करने की मांग की जा रही है।
होम लोन के ब्याज पर ज्यादा छूट
अपने कब्जे वाली संपत्ति पर ब्याज राशि की कटौती का दावा करने की लिमिट 2 लाख रुपये है। फ्लैट की कॉस्ट और होम लोन के साइज को देखते हुए लिमिट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किये जाने की मांग की जा रही है।