Important News: कोरोना से 4 दिन में 5 हजार मौतें, जानिए खतरे को लेकर क्या कह रहे एक्सपर्ट

नई दिल्‍ली। भारत में कोरोना के मामलों में कमी देखी जा रही है लेकिन मौतों का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से रोजाना देश में 1 हजार से ज्‍यादा लोगों की कोविड से मौत हो रही है। कोरोना की तीसरी लहर के दौरान जब देश में कोरोना के मामलों में उछाल आया था और रोजाना साढ़े 3 लाख के आसपास कोरोना के मामले आ रहे थे तब भी इससे होने वाली मौतें कम थीं। अब जबकि कोरोना के मरीज रोजाना कम आ रहे हैं तो मरने वालों की संख्‍या बढ़ने की क्‍या वजह है? पिछली लहरों के दौरान भी कहा गया कि अगर वायरस के संक्रमण से मौतों की संख्‍या बढ़ती है। तो वह खतरनाक होता है। ऐसे में 1 फरवरी से 4 फरवरी के बीच सिर्फ 4 दिनों में 5006 कोविड मौतें कहीं खतरे की घंटी तो नहीं है।

भारत में आंकड़े देखें तो पिछले चार दिनों में कोविड मौतों की संख्‍या काफी चौंकाने वाली है। पिछले चार दिनों में 5006 मौतें हुई हैं। जहां 1 फरवरी को 1,67,059 कोरोना के नए मामले सामने आए जबकि 1192 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। वहीं दो फरवरी को कोरोना केसेज में फिर से कमी हुई। लेकिन मौतें बढ़कर इस लहर की सर्वाधित 1733 तक पहुंच गईं। 3 फरवरी को कोरोना के मामलों में कुछ बढ़ोत्‍तरी हुई और 172433 मामले सामने आए जबकि 1008 मौतें हुईं। इसके बाद 4 फरवरी को डेढ़ लाख से कम और 1,49,394 नए कोरोना मरीज मिले। जबकि 1072 लोगों ने कोरोना से दम तोड़ा।

कोरोना की पिछली लहरों के दौरान और अब भी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर वायरस का संक्रमण भले ही कम हो लेकिन उससे मौतें बढ़ने लगें या अस्‍पतालों में गंभीर मरीजों की संख्‍या में इजाफा होने लगे तो माना जा सकता है कि वायरस खतरनाक हो रहा है। अब चूंकि भारत में यह आंकड़ा बढ़ रहा है तो इसके क्‍या मायने हो सकते हैं, ये समझाना काफी जरूरी है। आज ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि तीसरी लहर के दौरान सांस संबंधी गंभीर बीमारी, किडनी फेल होना और अन्‍य बीमारियों के संबंध में जटिलताएं कम रही हैं। आंकड़ों के विश्‍लेषण के अनुसार वैक्‍सीनेशन वाले लोगों में मृत्‍यु दर 10 प्रतिशत और बिना वैक्‍सीनेशन वाले लोगों में यह 22 प्रतिशत रही है। उन्‍होंने कहा कि वैक्‍सीनेशन करा चुके 10 में से 9 लोग पहले से कई रोगों से ग्रस्‍त थे, जिनकी मृत्‍यु हुई। बिना टीकाकरण वाले मामले में 83 प्रतिशत लोग पहले से कई रोगों से पीडि़त थे। उन्‍होंने बताया कि बिना टीकाकरण (11.2 फीसद) की तुलना में टीकाकृत (5.4 फीसद) कराने वालों में वेंटिलेशन की जरूरत बहुत कम थी।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान, देवघर के निदेशक डॉ. सौरभ वार्ष्‍णेय कहते हैं कि फिलहाल ये देखा जा रहा है कि गंभीर बीमारियों जैसे हार्ट, कैंसर है, लीवर या किडनी, कोई ऑर्गन फेलियर है या अन्‍य कोई गंभीर रोग से पीड़ि‍त मरीज अस्‍पताल आ रहे हैं। इससे पहले तक तक इन्‍हें अपना कोविड स्‍टेटस नहीं पता होता है लेकिन जब वे अस्‍पताल में भर्ती होते हैं। तो जरूरी प्रक्रिया के रूप में कोरोना की जांच भी की जाती है और ये बिना लक्षणों वाले संक्रमण के चलते पॉजिटिव निकलते हैं. मान लीजिए इसी दौरान इनकी अपनी ही गंभीर बीमारी के चलते मौत हो जाती है। तो गाइडलाइंस के अनुसार उसे कोविड पॉजिटिव मानते हुए कोविड डेथ में शामिल कर लिया जाता है। यही वजह है कि आज चाहे जिस किसी भी बीमारी से मरीज की मौत हो रही है। लेकिन अगर वह कोरोना पॉजिटिव निकल आता है। तो कोविड से मारे गए लोगों में शामिल हो जाता है और शायद इसी वजह से कोविड डेथ का आंकड़ा इस बार बढ़ रहा है। जबकि गहराई में जाकर देखें तो यह कोविड डेथ न होकर गंभीर बीमारी से मौत है।

वे कहते हैं कि पिछली लहरों में देखा गया था कि कोई मरीज चाहे किसी भी बीमारी से ग्रसित है और गंभीर है। लेकिन अगर उसे कोरोना हुआ हो तो उसके फेफड़ों में इसका असर देखा गया। अगर व्‍यक्ति इसी दौरान मारा भी गया तो उसे कोविड डेथ माना गया। हालांकि इस बार किसी भी कोविड डेथ में फेफड़ों पर वायरस का कोई ऐसा असर नहीं दिखाई दे रहा है। जिससे कहा जा सके कि फलां व्‍यक्ति कोरोना से मरा है। ऐसे में अभी यह कहना कि कोरोना खतरा बन सकता है जल्‍दबाजी होगी। विशेषज्ञ इन मामलों पर जानकारी जुटा रहे हैं।