इतना मिला कैश कि थक गईं नोट गिनने वाली मशीनें, जानें कौन हैं धीरज साहू, कहां से आये इतने पैसे


रांची
फटाफट न्यूज नेटवर्क


झारखंड, उड़ीसा और बंगाल में धीरज प्रसाद साहू के ठिकानों ओर आयकर विभाग की दबिश मे 300 करोड़ से ज्यादा कैश की बरामदगी हो चुकी है लेकिन कैश की गिनती का कार्य अब भी जारी है और कैश बढ़ने के पूरे आसार हैं।

हालात ऐसे हैं कि नोट गिनने वाली मशीनें भी गिनती में जवाब देती जा रही हैं लेकिन ये कैश कहां से आये और इसके सोर्स क्या हैं, इसे जानने के लिए धीरज साहू के परिवार को जानना जरूरी है।

कौन है धीरज साहू

धीरज साहू का पूरा नाम धीरज प्रसाद साहू है। 23 नवंबर 1955 को धीरज साहू का जन्म राय साहब बलदेव साहू और सुशीला देवी के घर में हुआ था। धीरज साहू तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के सांसद हैं। धीरज साहू ने अपनी वेबसाइट में जो ब्योरा दिया है, उसके मुताबिक वो कारोबारी परिवार से संबंध रखते हैं।

हालांकि उनके पिता ने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी। आजादी के बाद से ही उनका परिवार कांग्रेस का सदस्य रहा है और कई तरह के बिजनेस उनका परिवार के द्वारा संचालित की जाती है।

1977 में राजनीतिक करियर की शुरुआत

जिन व्यवसायों का साहू परिवार संचालन करता है उनमें शराब का कारोबार महत्पूर्ण है। इसके साथ ही इस्पात, स्कूल, होटल सहित अन्य तरह की व्यवसायिक गतिविधियां है।

धीरज साहू ने रांची के मारवाड़ी कॉलेज से बीए किया है। पढ़ाई के दौरान ही धीरज साहू ने 1977 में यूथ कांग्रेस से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। धीरज साहू के भाई शिव प्रसाद साहू रांची से कांग्रेस के टिकट पर दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री आ चुके

मतलब राजनीति और व्यवसाय के क्षेत्र में साहू परिवार की गहरी पैठ है। जानकारी के अनुसार धीरज साहू के घर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी गांधी सहित कांग्रेस के बड़े नेता आ चुके हैं, जिस कारण धीरज साहू के परिवार का रुतबा भी झारखंड मे काफी रहा।

लोहरदगा इलाका धीरज साहू का पैतृक निवास स्थान है और यहां के लोग उनके परिवार को राजा साहब कह के पुकारते थे। परिवार का बैकग्राउंड आर्थिक तौर पर शुरु से काफी मजबूत है।

नोट गिनते-गिनते थक गई मशीनें

लोग और राजनीति के जानकार बताते हैं कि कहीं न कहीं इसका फायदा उन्हें राजनीति में भी मिला है। हालांकि इतनी बड़ी मात्रा में मिले कैश को वो कैसे जस्टीफाई करते हैं, ये देखना होगा क्योंकि कई मशीनें भी नोट गिनते-गिनते थक चुकी हैं लेकिन पैसों की गिनती जारी है।